13 पौलुस और उसके साथी पाफुस से जहाज खोलकर पंफूलिया के पिरगा में* आए; और यूहन्ना उन्हें छोड़कर यरूशलेम को लौट गया।
14 और पिरगा से आगे बढ़कर पिसिदिया के अन्ताकिया में पहुँचे; और सब्त के दिन आराधनालय में जाकर बैठ गए।
15 व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तक से पढ़ने के बाद आराधनालय के सरदारों ने उनके पास कहला भेजा, “हे भाइयों, यदि लोगों के उपदेश के लिये तुम्हारे मन में कोई बात हो तो कहो।”
16 तब पौलुस ने खड़े होकर और हाथ से इशारा करके कहा, “हे इस्राएलियों, और परमेश्वर से डरनेवालों, सुनो
17 इन इस्राएली लोगों के परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों को चुन लिया, और जब ये मिस्र देश में परदेशी होकर रहते थे, तो उनकी उन्नति की; और बलवन्त भुजा से निकाल लाया। (निर्ग. 6:1, निर्ग. 12:51)
18 और वह कोई चालीस वर्ष तक जंगल में उनकी सहता रहा, (निर्ग. 16:35, गिन. 14:34, व्य. 1:31)
19 और कनान देश में सात जातियों का नाश करके उनका देश लगभग साढ़े चार सौ वर्ष में इनकी विरासत में कर दिया। (व्य. 7:1, यहो. 14:1)