2 और जब पतरस यरूशलेम में आया, तो खतना किए हुए लोग उससे वाद-विवाद करने लगे,
3 “तूने खतनारहित लोगों के यहाँ जाकर उनके साथ खाया।”
4 तब पतरस ने उन्हें आरम्भ से क्रमानुसार कह सुनाया;
5 “मैं याफा नगर में प्रार्थना कर रहा था, और बेसुध होकर एक दर्शन देखा, कि एक बड़ी चादर, एक पात्र के समान चारों कोनों से लटकाया हुआ, आकाश से उतरकर मेरे पास आया।
6 जब मैंने उस पर ध्यान किया, तो पृथ्वी के चौपाए और वन पशु और रेंगनेवाले जन्तु और आकाश के पक्षी देखे;
7 और यह आवाज़ भी सुना, ‘हे पतरस उठ मार और खा।’
8 मैंने कहा, ‘नहीं प्रभु, नहीं; क्योंकि कोई अपवित्र या अशुद्ध वस्तु मेरे मुँह में कभी नहीं गई।’
9 इसके उत्तर में आकाश से दोबारा आवाज़ आई, ‘जो कुछ परमेश्वर ने शुद्ध ठहराया है, उसे अशुद्ध मत कह।’
10 तीन बार ऐसा ही हुआ; तब सब कुछ फिर आकाश पर खींच लिया गया।