17 अतः जब कि परमेश्वर ने उन्हें भी वही दान दिया, जो हमें प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने से मिला; तो मैं कौन था जो परमेश्वर को रोक सकता था?”
18 यह सुनकर, वे चुप रहे, और परमेश्वर की बड़ाई करके कहने लगे, “तब तो परमेश्वर ने अन्यजातियों को भी जीवन के लिये मन फिराव का दान दिया है।”
19 जो लोग उस क्लेश के मारे जो स्तिफनुस के कारण पड़ा था, तितर-बितर हो गए थे, वे फिरते-फिरते फीनीके और साइप्रस और अन्ताकिया में पहुँचे; परन्तु यहूदियों को छोड़ किसी और को वचन न सुनाते थे।
20 परन्तु उनमें से कुछ साइप्रस वासी और कुरेनी* थे, जो अन्ताकिया में आकर यूनानियों को भी प्रभु यीशु का सुसमाचार की बातें सुनाने लगे।
21 और प्रभु का हाथ उन पर था, और बहुत लोग विश्वास करके प्रभु की ओर फिरे।
22 तब उनकी चर्चा यरूशलेम की कलीसिया के सुनने में आई, और उन्होंने बरनबास* को अन्ताकिया भेजा।
23 वह वहाँ पहुँचकर, और परमेश्वर के अनुग्रह को देखकर आनन्दित हुआ; और सब को उपदेश दिया कि तन मन लगाकर प्रभु से लिपटे रहें।
24 क्योंकि वह एक भला मनुष्य था; और पवित्र आत्मा और विश्वास से परिपूर्ण था; और बहुत से लोग प्रभु में आ मिले।
25 तब वह शाऊल को ढूँढ़ने के लिये तरसुस को चला गया।
26 और जब उनसे मिला तो उसे अन्ताकिया में लाया, और ऐसा हुआ कि वे एक वर्ष तक कलीसिया के साथ मिलते और बहुत से लोगों को उपदेश देते रहे, और चेले सबसे पहले अन्ताकिया ही में मसीही कहलाए।
27 उन्हीं दिनों में कई भविष्यद्वक्ता यरूशलेम से अन्ताकिया में आए।
28 उनमें से अगबुस* ने खड़े होकर आत्मा की प्रेरणा से यह बताया, कि सारे जगत में बड़ा अकाल पड़ेगा, और वह अकाल क्लौदियुस के समय में पड़ा।
29 तब चेलों ने निर्णय किया कि हर एक अपनी-अपनी पूँजी के अनुसार यहूदिया में रहनेवाले भाइयों की सेवा के लिये कुछ भेजे।