Text copied!
Bibles in Hindi

नीतिवचन 25:3-13 in Hindi

Help us?

नीतिवचन 25:3-13 in पवित्र बाइबिल

3 स्वर्ग की ऊँचाई और पृथ्वी की गहराई और राजाओं का मन, इन तीनों का अन्त नहीं मिलता।
4 चाँदी में से मैल दूर करने पर वह सुनार के लिये काम की हो जाती है।
5 वैसे ही, राजा के सामने से दुष्ट को निकाल देने पर उसकी गद्दी धर्म के कारण स्थिर होगी।
6 राजा के सामने अपनी बड़ाई न करना और बड़े लोगों के स्थान में खड़ा न होना*;
7 उनके लिए तुझसे यह कहना बेहतर है कि, “इधर मेरे पास आकर बैठ” ताकि प्रधानों के सम्मुख तुझे अपमानित न होना पड़े. (लूका 14:10-11)
8 जो कुछ तूने देखा है, वह जल्दी से अदालत में न ला, अन्त में जब तेरा पड़ोसी तुझे शर्मिंदा करेगा तो तू क्या करेगा?
9 अपने पड़ोसी के साथ वाद-विवाद एकान्त में करना और पराये का भेद न खोलना;
10 ऐसा न हो कि सुननेवाला तेरी भी निन्दा करे, और तेरी निन्दा बनी रहे।
11 जैसे चाँदी की टोकरियों में सोने के सेब हों, वैसे ही ठीक समय पर कहा हुआ वचन होता है।
12 जैसे सोने का नत्थ और कुन्दन का जेवर अच्छा लगता है, वैसे ही माननेवाले के कान में बुद्धिमान की डाँट भी अच्छी लगती है।
13 जैसे कटनी के समय बर्फ की ठण्ड से, वैसा ही विश्वासयोग्य दूत से भी, भेजनेवालों का जी ठण्डा होता है।
नीतिवचन 25 in पवित्र बाइबिल