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नीतिवचन 24:1-13 in Hindi

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नीतिवचन 24:1-13 in पवित्र बाइबिल

1 बुरे लोगों के विषय में डाह न करना, और न उसकी संगति की चाह रखना;
2 क्योंकि वे उपद्रव सोचते रहते हैं, और उनके मुँह से दुष्टता की बात निकलती है।
3 घर बुद्धि से बनता है, और समझ के द्वारा स्थिर होता है।
4 ज्ञान के द्वारा कोठरियाँ सब प्रकार की बहुमूल्य और मनोहर वस्तुओं से भर जाती हैं।
5 वीर पुरुष बलवान होता है, परन्तु ज्ञानी व्यक्ति बलवान पुरुष से बेहतर है।
6 इसलिए जब तू युद्ध करे, तब युक्ति के साथ करना, विजय बहुत से मंत्रियों के द्वारा प्राप्त होती है।
7 बुद्धि इतने ऊँचे पर है कि मूर्ख उसे पा नहीं सकता; वह सभा में अपना मुँह खोल नहीं सकता।
8 जो सोच विचार के बुराई करता है, उसको लोग दुष्ट कहते हैं।
9 मूर्खता का विचार भी पाप है, और ठट्ठा करनेवाले से मनुष्य घृणा करते हैं।
10 यदि तू विपत्ति के समय साहस छोड़ दे, तो तेरी शक्ति बहुत कम है।
11 जो मार डाले जाने के लिये घसीटे जाते हैं उनको छुड़ा; और जो घात किए जाने को हैं उन्हें रोक।
12 यदि तू कहे, कि देख मैं इसको जानता न था, तो क्या मन का जाँचनेवाला इसे नहीं समझता? और क्या तेरे प्राणों का रक्षक इसे नहीं जानता? और क्या वह हर एक मनुष्य के काम का फल उसे न देगा? (मत्ती 16:27, रोमि 2:6, प्रका. 2:23, प्रका. 22:12)
13 हे मेरे पुत्र तू मधु खा, क्योंकि वह अच्छा है, और मधु का छत्ता भी, क्योंकि वह तेरे मुँह में मीठा लगेगा।
नीतिवचन 24 in पवित्र बाइबिल