13 जो कोई भलाई के बदले में बुराई करे, उसके घर से बुराई दूर न होगी।
14 झगड़े का आरम्भ बाँध के छेद के समान है, झगड़ा बढ़ने से पहले उसको छोड़ देना उचित है।
15 जो दोषी को निर्दोष, और जो निर्दोष को दोषी ठहराता है, उन दोनों से यहोवा घृणा करता है।
16 बुद्धि मोल लेने के लिये मूर्ख अपने हाथ में दाम क्यों लिए है? वह उसे चाहता ही नहीं।
17 मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है।