24 लेकिन मेरी वफ़ादारी और शफ़क़त उसके साथ रहेंगी, और मेरे नाम से उसका सींग बुलन्द होगा।
25 मैं उसका हाथ समन्दर तक बढ़ाऊँगा, और उसके दहने हाथ को दरियाओं तक।
26 वह मुझे पुकार कर कहेगा, 'तू मेराबाप, मेरा ख़ुदा, और मेरी नजात की चट्टान है।
27 और मैं उसको अपना पहलौठा बनाऊँगा और दुनिया का शहंशाह।
28 मैं अपनी शफ़क़त को उसके लिए हमेशा तक क़ाईम रखूँगा और मेरा 'अहद उसके साथ लातब्दील रहेगा।
29 मैं उसकी नसल को हमेशा तक क़ाईम रख्खूंगा, और उसके तख़्त को जब तक आसमानहै।
30 अगर उसके फ़र्ज़न्द मेरी शरी'अत को छोड़ दें, और मेरे अहकाम पर न चलें,
31 अगर वह मेरे क़ानून को तोड़ें, और मेरे फ़रमान को न मानें,
32 तो मैं उनको छड़ी से ख़ता की, और कोड़ों से बदकारी की सज़ा दूँगा।
33 लेकिन मैं अपनी शफ़क़त उस पर से हटा न लूँगा, और अपनी वफ़ादारी को बेकार न होने न दूँगा।
34 मैं अपने 'अहद को न तोडूँगा, और अपने मुँह की बात को न बदलूँगा।
35 मैं एक बार अपनी पाकी की क़सम खा चुका हूँ मैं दाऊद से झूट न बोलूँगा।
36 उसकी नसल हमेशा क़ाईम रहेगी, और उसका तख़्त आफ़ताब की तरह मेरे सामने क़ाईम रहेगा।
37 वह हमेशा चाँद की तरह, और आसमान के सच्चे गवाह की तरह क़ाईम रहेगा। मिलाह
38 लेकिन तूने तो तर्क कर दिया और छोड़ दिया, तू अपने मम्सूह से नाराज़ हुआ है।
39 तूने अपने ख़ादिम के 'अहद को रद्द कर दिया, तूने उसके ताज को ख़ाक में मिला दिया।