11 ख़ुदा सादिक़ मुन्सिफ़ है, बल्कि ऐसा ख़ुदा जो हर रोज़ क़हर करता है।
12 अगर आदमी बाज़ न आए तो वहअपनी तलवार तेज़ करेगा; उसने अपनी कमान पर चिल्ला चढ़ाकर उसे तैयार कर लिया है।
13 उसने उसके लिए मौत के हथियार भी तैयार किए हैं; वह अपने तीरों को आतिशी बनाता है।
14 देखो, उसे बुराई की पैदाइश का दर्द लगा है! बल्कि वह शरारत से फलदार हुआ और उससे झूट पैदा हुआ।
15 उसने गढ़ा खोद कर उसे गहरा किया, और उस ख़न्दक में जो उसने बनाई थी ख़ुद गिरा।
16 उसकी शरारत उल्टी उसी के सिर पर आएगी; उसका ज़ुल्म उसी की खोपड़ी पर नाज़िल होगा।
17 ख़ुदावन्द की सदाक़त के मुताबिक़ मैं उसका शुक्र करूँगा, और ख़ुदावन्द ताला के नाम की तारीफ़ गाऊँगा।