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ज़बूर 77:2-5 in Urdu

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ज़बूर 77:2-5 in इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

2 अपनी मुसीबत के दिन मैंने ख़ुदावन्द को ढूँढा, मेरे हाथ रात को फैले रहे और ढीले न हुए; मेरी जान को तस्कीन न हुई।
3 मैं ख़ुदा को याद करता हूँ और बेचैन हूँ मैं वावैला करता हूँ और मेरी जान निढाल है।
4 तू मेरी आँखें खुली रखता है; मैं ऐसा बेताब हूँ कि बोल नहीं सकता।
5 मैं गुज़रे दिनों पर, या'नी क़दीम ज़माने के बरसों पर सोचता रहा।
ज़बूर 77 in इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019