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ज़बूर 119:68-86 in Urdu

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ज़बूर 119:68-86 in इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

68 तू भला है और भलाई करता है; मुझे अपने क़ानून सिखा।
69 मग़रूरों ने मुझ पर बहुतान बाँधा है; मैं पूरे दिल से तेरे क़वानीन को मानूँगा।
70 उनके दिल चिकनाई से फ़र्बा हो गए, लेकिन मैं तेरी शरी'अत में मसरूर हूँ।
71 अच्छा हुआ कि मैंने मुसीबत उठाई, ताकि तेरे क़ानून सीख लूँ।
72 तेरे मुँह की शरी'अत मेरे लिए, सोने चाँदी के हज़ारों सिक्कों से बेहतर है।
73 तेरे हाथों ने मुझे बनाया और तरतीब दी; मुझे समझ 'अता कर ताकि तेरे फ़रमान सीख लें।
74 तुझ से डरने वाले मुझे देख कर इसलिए कि मुझे तेरे कलाम पर भरोसा है।
75 ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरे अहकाम की सदाक़त को जानता हूँ, और यह कि वफ़ादारी ही से तूने मुझे दुख; में डाला।
76 उस कलाम के मुताबिक़ जो तूनेअपने बन्दे से किया, तेरी शफ़क़त मेरी तसल्ली का ज़रिया' हो।
77 तेरी रहमत मुझे नसीब हो ताकि मैं ज़िन्दा रहूँ। क्यूँकि तेरी शरी'अत मेरी ख़ुशनूदी है।
78 मग़रूर शर्मिन्दा हों, क्यूँकि उन्होंने नाहक़ मुझे गिराया, लेकिन मैं तेरे क़वानीन पर ध्यान करूँगा।
79 तुझ से डरने वाले मेरी तरफ़ रुजू हों, तो वह तेरी शहादतों को जान लेंगे।
80 मेरा दिल तेरे क़ानून मानने में कामिल रहे, ताकि मैं शर्मिन्दगी न उठाऊँ।
81 मेरी जान तेरी नजात के लिए बेताब है, लेकिन मुझे तेरे कलाम पर भरोसा है।
82 तेरे कलाम के इन्तिज़ार में मेरी आँखें रह गई, मैं यही कहता रहा कि तू मुझे कब तसल्ली देगा?
83 मैं उस मश्कीज़े की तरह हो गया जो धुएँ में हो, तोभी मैं तेरे क़ानून को नहीं भूलता।
84 तेरे बन्दे के दिन ही कितने हैं? तू मेरे सताने वालों पर कब फ़तवा देगा?
85 मग़रूरों ने जो तेरी शरी'अत के पैरौ नहीं, मेरे लिए गढ़े खोदे हैं।
86 तेरे सब फ़रमान बरहक़ हैं: वह नाहक़ मुझे सताते हैं; तू मेरी मदद कर!
ज़बूर 119 in इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019