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अम्सा 7:8-22 in Urdu

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अम्सा 7:8-22 in इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

8 कि उस 'औरत के घर के पास गली के मोड़ से जा रहा है, और उसने उसके घर का रास्ता लिया;
9 दिन छिपे शाम के वक़्त, रात के अंधेरे और तारीकी में।
10 और देखो, वहाँ उससे एक 'औरत आ मिली, जो दिल की चालाक और कस्बी का लिबास पहने थी।
11 वह गौग़ाई और ख़ुदसर है, उसके पाँव अपने घर में नहीं टिकते;
12 अभी वह गली में है, अभी बाज़ारों में, और हर मोड़ पर घात में बैठती है।
13 इसलिए उसने उसको पकड़ कर चूमा, और बेहया मुँह से उससे कहने लगी,
14 “सलामती की कु़र्बानी के ज़बीहे मुझ पर फ़र्ज़ थे, आज मैंने अपनी नज्रे़ अदा की हैं।
15 इसीलिए मैं तेरी मुलाक़ात को निकली, कि किसी तरह तेरा दीदार हासिल करूँ, इसलिए तू मुझे मिल गया।
16 मैंने अपने पलंग पर कामदार गालीचे, और मिस्र के सूत के धारीदार कपड़े बिछाए हैं।
17 मैंने अपने बिस्तर को मुर और ऊद, और दारचीनी से मु'अत्तर किया है।
18 आ हम सुबह तक दिल भर कर इश्क़ बाज़ी करें और मुहब्बत की बातों से दिल बहलाएँ
19 क्यूँकि मेरा शौहर घर में नहीं, उसने दूर का सफ़र किया है।
20 वह अपने साथ रुपये की थैली ले गया; और पूरे चाँद के वक़्त घर आएगा।”
21 उसने मीठी मीठी बातों से उसको फुसला लिया, और अपने लबों की चापलूसी से उसको बहका लिया।
22 वह फ़ौरन उसके पीछे हो लिया, जैसे बैल ज़बह होने को जाता है; या बेड़ियों में बेवक़ूफ़ सज़ा पाने को।
अम्सा 7 in इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019