15 उससे बचना, उसके पास से न गुज़रना, उससे मुड़कर आगे बढ़ जाना;
16 क्यूँकि वह जब तक बुराई न कर लें सोते नहीं; और जब तक किसी को गिरा न दें उनकी नींद जाती रहती है।
17 क्यूँकि वह शरारत की रोटी खाते, और जु़ल्म की मय पीते हैं।
18 लेकिन सादिक़ों की राह सुबह की रोशनी की तरह है, जिसकी रोशनी दो पहर तक बढ़ती ही जाती है।