Text copied!
CopyCompare
पवित्र बाइबिल - यहेजकेल

यहेजकेल 18

Help us?
Click on verse(s) to share them!
1फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा :
2“तुम लोग जो इस्राएल के देश के विषय में यह कहावत कहते हो, 'खट्टे अंगूर खाए तो पुरखा लोगों ने, परन्तु दाँत खट्टे हुए बच्चों के।' इसका क्या अर्थ है?
3प्रभु यहोवा यह कहता है कि मेरे जीवन की शपथ, तुमको इस्राएल में फिर यह कहावत कहने का अवसर न मिलेगा।
4देखो, सभी के प्राण तो मेरे हैं*; जैसा पिता का प्राण, वैसा ही पुत्र का भी प्राण है; दोनों मेरे ही हैं। इसलिए जो प्राणी पाप करे वही मर जाएगा।
5“जो कोई धर्मी हो, और न्याय और धर्म के काम करे,
6और न तो पहाड़ों के पूजा स्थलों पर भोजन किया हो, न इस्राएल के घराने की मूरतों* की ओर आँखें उठाई हों; न पराई स्त्री को बिगाड़ा हो, और न ऋतुमती के पास गया हो,
7और न किसी पर अंधेर किया हो वरन् ऋणी को उसकी बन्धक फेर दी हो, न किसी को लूटा हो, वरन् भूखे को अपनी रोटी दी हो और नंगे को कपड़ा ओढ़ाया हो,
8न ब्याज पर रुपया दिया हो, न रुपये की बढ़ती ली हो, और अपना हाथ कुटिल काम से रोका हो, मनुष्य के बीच सच्चाई से न्याय किया हो,
9और मेरी विधियों पर चलता और मेरे नियमों को मानता हुआ सच्चाई से काम किया हो, ऐसा मनुष्य धर्मी है, वह निश्चय जीवित रहेगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
10“परन्तु यदि उसका पुत्र डाकू, हत्यारा, या ऊपर कहे हुए पापों में से किसी का करनेवाला हो,
11और ऊपर कहे हुए उचित कामों का करनेवाला न हो, और पहाड़ों के पूजा स्थलों पर भोजन किया हो, पराई स्त्री को बिगाड़ा हो,
12दीन दरिद्र पर अंधेर किया हो, औरों को लूटा हो, बन्धक न लौटाई हो, मूरतों की ओर आँख उठाई हो, घृणित काम किया हो,
13ब्याज पर रुपया दिया हो, और बढ़ती ली हो, तो क्या वह जीवित रहेगा? वह जीवित न रहेगा; इसलिए कि उसने ये सब घिनौने काम किए हैं वह निश्चय मरेगा और उसका खून उसी के सिर पड़ेगा।
14“फिर यदि ऐसे मनुष्य के पुत्र हों और वह अपने पिता के ये सब पाप देखकर भय के मारे उनके समान न करता हो।
15अर्थात् न तो पहाड़ों के पूजा स्थलों पर भोजन किया हो, न इस्राएल के घराने की मूरतों की ओर आँख उठाई हो, न पराई स्त्री को बिगाड़ा हो,
16न किसी पर अंधेर किया हो, न कुछ बन्धक लिया हो, न किसी को लूटा हो, वरन् अपनी रोटी भूखे को दी हो, नंगे को कपड़ा ओढ़ाया हो,
17दीन जन की हानि करने से हाथ रोका हो, ब्याज और बढ़ती न ली हो, मेरे नियमों को माना हो, और मेरी विधियों पर चला हो, तो वह अपने पिता के अधर्म के कारण न मरेगा, वरन् जीवित ही रहेगा।
18उसका पिता, जिसने अंधेर किया और लूटा, और अपने भाइयों के बीच अनुचित काम किया है, वही अपने अधर्म के कारण मर जाएगा।

19तो भी तुम लोग कहते हो, क्यों? क्या पुत्र पिता के अधर्म का भार नहीं उठाता? जब पुत्र ने न्याय और धर्म के काम किए हों, और मेरी सब विधियों का पालन कर उन पर चला हो, तो वह जीवित ही रहेगा।
20जो प्राणी पाप करे वही मरेगा, न तो पुत्र पिता के अधर्म का भार उठाएगा और न पिता पुत्र का; धर्मी को अपने ही धर्म का फल, और दुष्ट को अपनी ही दुष्टता का फल मिलेगा। (व्यव. 26:16)
21परन्तु यदि दुष्ट जन अपने सब पापों से फिरकर, मेरी सब विधियों का पालन करे और न्याय और धर्म के काम करे, तो वह न मरेगा; वरन् जीवित ही रहेगा।
22उसने जितने अपराध किए हों, उनमें से किसी का स्मरण उसके विरुद्ध न किया जाएगा; जो धर्म का काम उसने किया हो, उसके कारण वह जीवित रहेगा।
23प्रभु यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्‍न होता हूँ? क्या मैं इससे प्रसन्‍न नहीं होता कि वह अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे? (1 तीमु. 2:4)
24परन्तु जब धर्मी अपने धर्म से फिरकर टेढ़े काम, वरन् दुष्ट के सब घृणित कामों के अनुसार करने लगे, तो क्या वह जीवित रहेगा? जितने धर्म के काम उसने किए हों, उनमें से किसी का स्मरण न किया जाएगा। जो विश्वासघात और पाप उसने किया हो, उसके कारण वह मर जाएगा।
25“तो भी तुम लोग कहते हो, 'प्रभु की गति एक सी नहीं।' हे इस्राएल के घराने, देख, क्या मेरी गति एक सी नहीं? क्या तुम्हारी ही गति अनुचित नहीं है?
26जब धर्मी अपने धर्म से फिरकर, टेढ़े काम करने लगे, तो वह उनके कारण मरेगा, अर्थात् वह अपने टेढ़े काम ही के कारण मर जाएगा।
27फिर जब दुष्ट अपने दुष्ट कामों से फिरकर, न्याय और धर्म के काम करने लगे, तो वह अपना प्राण बचाएगा।
28वह जो सोच विचार कर अपने सब अपराधों से फिरा, इस कारण न मरेगा, जीवित ही रहेगा।
29तो भी इस्राएल का घराना कहता है कि प्रभु की गति एक सी नहीं। हे इस्राएल के घराने, क्या मेरी गति एक सी नहीं? क्या तुम्हारी ही गति अनुचित नहीं?
30“प्रभु यहोवा की यह वाणी है, हे इस्राएल के घराने, मैं तुम में से हर एक मनुष्य का न्याय उसकी चालचलन के अनुसार ही करूँगा। पश्चाताप करो और अपने सब अपराधों को छोड़ो, तभी तुम्हारा अधर्म तुम्हारे ठोकर खाने का कारण न होगा।
31अपने सब अपराधों को जो तुमने किए हैं, दूर करो; अपना मन और अपनी आत्मा बदल डालो! हे इस्राएल के घराने, तुम क्यों मरो?
32क्योंकि, प्रभु यहोवा की यह वाणी है, जो मरे, उसके मरने से मैं प्रसन्‍न नहीं होता, इसलिए पश्चाताप करो, तभी तुम जीवित रहोगे।