20और कहने लगी, “मेरी तुझ से एक छोटी सी दरख़्वास्त है; तू मुझ से इन्कार न करना।” बादशाह ने उससे कहा, “ऐ मेरी माँ, इरशाद फ़रमा; मुझे तुझ से इन्कार न होगा।”
21उसने कहा, “अबीशाग शून्मीत तेरे भाई अदूनियाह को ब्याह दी जाए।”
22सुलेमान बादशाह ने अपनी माँ को जवाब दिया, “तू अबीशाग शून्मीत ही को अदूनियाह के लिए क्यूँ माँगती है? उसके लिए हुकूमत भी माँग, क्यूँकि वह तो मेरा बड़ा भाई है; बल्कि उसके लिए क्या, अबीयातर काहिन और ज़रोयाह के बेटे योआब के लिए भी माँग।”
23तब सुलेमान बादशाह ने ख़ुदावन्द की क़सम खाई और कहा कि “अगर अदूनियाह ने यह बात अपनी ही जान के ख़िलाफ़ नहीं कही, तो ख़ुदा मुझ से ऐसा ही, बल्कि इससे भी ज़्यादा करे।