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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - 1 सला - 1 सला 22

1 सला 22:9-37

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9तब शाह — ए — इस्राईल ने एक सरदार को बुलाकर कहा, कि “इमला के बेटे मीकायाह को जल्द ले आ।”
10उस वक़्त शाह — ए — इस्राईल और शाह — ए — यहूदाह यहूसफ़त सामरिया के फाटक के सामने, एक खुली जगह में, अपने — अपने तख़्त पर शाहाना लिबास पहने हुए बैठे थे, और सब नबी उनके सामने पेशीनगोई कर रहे थे।
11और कन'आना के बेटे सिदक़ियाह ने अपने लिए लोहे के सींग बनाए और कहा, ख़ुदावन्द ऐसा फ़रमाता है कि “तू इन से अरामियों को मारेगा, जब तक वह मिट न जाएँ।”
12और सब नबियों ने यही पेशीनगोई की और कहा कि रामात जिल'आद पर चढ़ाई कर और कामयाब हो, क्यूँकि ख़ुदावन्द उसे बादशाह के क़ब्ज़े में कर देगा।
13और उस क़ासिद ने जो मीकायाह को बुलाने गया था उससे कहा, “देख, सब नबी एक ज़बान होकर बादशाह को ख़ुशख़बरी दे रहे हैं, तो ज़रा तेरी बात भी उनकी बात की तरह हो और तू ख़ुशख़बरी ही देना।”
14मीकायाह ने कहा, “ख़ुदावन्द की हयात की क़सम, जो कुछ ख़ुदावन्द मुझे फ़रमाए मैं वही कहूँगा।”
15इसलिए जब वह बादशाह के पास आया, तो बादशाह ने उससे कहा, “मीकायाह, हम रामात जिल'आद से लड़ने जाएँ या रहने दें?” उसने जवाब दिया, “जा और कामयाब हो, क्यूँकि ख़ुदावन्द उसे बादशाह के क़ब्ज़े में कर देगा।”
16बादशाह ने उससे कहा, मैं कितनी मर्तबा तुझे क़सम देकर कहूँ, कि “तू ख़ुदावन्द के नाम से हक़ के 'अलावा और कुछ मुझ को न बताए?”
17तब उसने कहा, मैंने सारे इस्राईल को उन भेड़ों की तरह, जिनका चौपान न हो, पहाड़ों पर बिखरा देखा; और ख़ुदावन्द ने फ़रमाया कि “इनका कोई मालिक नहीं; तब वह अपने अपने घर सलामत लौट जाएँ।”
18तब शाह — ए — इस्राईल ने यहूसफ़त से कहा, “क्या मैंने तुझ को बताया नहीं था कि यह मेरे हक़ में नेकी की नहीं बल्कि बदी की पेशीनगोई करेगा?”
19तब उसने कहा, अच्छा, तू ख़ुदावन्द की बात को सुन ले; मैंने देखा कि ख़ुदावन्द अपने तख़्त पर बैठा है, और सारा आसमानी लश्कर उसके दहने और बाएँ खड़ा है।
20और ख़ुदावन्द ने फ़रमाया, 'कौन अख़ीअब को बहकाएगा, ताकि वह चढ़ाई करे और रामात जिल'आद में मारे ग़ए?' तब किसी ने कुछ कहा, और किसी ने कुछ।
21लेकिन एक रूह निकल कर ख़ुदावन्द के सामने खड़ी हुई, और कहा, 'मैं उसे बहकाऊँगी।
22ख़ुदावन्द ने उससे पूछा, “किस तरह?” उसने कहा, “मैं जाकर उसके सब नबियों के मुँह में झूठ बोलने वाली रूह बन जाऊँगी, उसने कहा “तू उसे बहका देगी और ग़ालिब भी होगी, रवाना हो जा और ऐसा ही कर।
23इसलिए देख, ख़ुदावन्द ने तेरे इन सब नबियों के मुँह में झूठ बोलने वाली रूह डाली है; और ख़ुदावन्द ने तेरे हक़ में बदी का हुक्म दिया है।”
24तब कन'आना का बेटा सिदक़ियाह नज़दीक आया, और उसने मीकायाह के गाल पर मार कर कहा, “ख़ुदावन्द की रूह तुझ से बात करने को किस रास्ते से होकर मुझ में से गई?”
25मीकायाह ने कहा, “यह तू उसी दिन देख लेगा, जब तू अन्दर की एक कोठरी में घुसेगा ताकि छिप जाए।”
26और शाह — ए — इस्राईल ने कहा, मीकायाह को लेकर उसे शहर के नाज़िम अमून और यूआस शहज़ादे के पास लौटा ले जाओं;
27और कहना, “बादशाह यूँ फ़रमाता है कि इस शख़्स को कै़दख़ाने में डाल दो, और इसे मुसीबत की रोटी खिलाना और मुसीबत का पानी पिलाना, जब तक मैं सलामत न आऊँ।”
28तब मीकायाह ने कहा, “अगर तू सलामत वापस आ जाए, तो ख़ुदावन्द ने मेरी ज़रिए' कलाम ही नहीं किया।” फिर उसने कहा, “ऐ लोगो, तुम सब के सब सुन लो।”
29इसलिए शाह — ए — इस्राईल और शाह — ए — यहूदाह यहूसफ़त ने रामात जिल'आद पर चढ़ाई की।
30और शाह — ए — इस्राईल ने यहूसफ़त से कहा, “मैं अपना भेस बदलकर लड़ाई में जाऊँगा; लेकिन तू अपना लिबास पहने रह।” तब शाह — ए — इस्राईल अपना भेस बदलकर लड़ाई में गया।
31उधर शाह — ए — अराम ने अपने रथों के बत्तीसों सरदारों को हुक्म दिया था, “किसी छोटे या बड़े से न लड़ना, 'अलावा शाह — ए — इस्राईल के।”
32इसलिए जब रथों के सरदारों ने यहूसफ़त को देखा तो कहा, “ज़रूर शाह — ए — इस्राईल यही है।” और वह उससे लड़ने को मुड़े, तब यहूसफ़त चिल्ला उठा।
33जब रथों के सरदारों ने देखा कि वह शाह — ए — इस्राईल नहीं, तो वह उसका पीछा करने से लौट गए।
34और किसी शख़्स ने ऐसे ही अपनी कमान खींची और शाह — ए — इस्राईल को जौशन के बन्दों के बीच मारा, तब उसने अपने सारथी से कहा, बाग “फेर कर मुझे लश्कर से बाहर निकाल ले चल, क्यूँकि मैं ज़ख़्मी हो गया हूँ।”
35और उस दिन बड़े घमसान का रन पड़ा, और उन्होंने बादशाह को उसके रथ ही में अरामियों के मुक़ाबिल संभाले रखा; और वह शाम को मर गया, और ख़ून उसके ज़ख़्म से बह कर रथ के पायदान में भर गया।
36और आफ़ताब ग़ुरूब होते हुए लश्कर में यह पुकार हो गई, “हर एक आदमी अपने शहर, और हर एक आदमी अपने मुल्क को जाए।”
37इसलिए बादशाह मर गया और वह सामरिया में पहुँचाया गया, और उन्होंने बादशाह को सामरिया में दफ़न किया;

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