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पवित्र बाइबिल - सभोपदेशक - सभोपदेशक 3

सभोपदेशक 3:17-21

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17मैंने मन में कहा, “परमेश्‍वर धर्मी और दुष्ट दोनों का न्याय करेगा,” क्योंकि उसके यहाँ एक-एक विषय और एक-एक काम का समय है।
18मैंने मन में कहा, “यह इसलिए होता है कि परमेश्‍वर मनुष्यों को जाँचे और कि वे देख सके कि वे पशु-समान हैं।”
19क्योंकि जैसी मनुष्यों की वैसी ही पशुओं की भी दशा होती है; दोनों की वही दशा होती है, जैसे एक मरता वैसे ही दूसरा भी मरता है। सभी की श्‍वास एक सी है, और मनुष्य पशु से कुछ बढ़कर नहीं; सब कुछ व्यर्थ ही है।
20सब एक स्थान में जाते हैं; सब मिट्टी से बने हैं, और सब मिट्टी में फिर मिल जाते हैं।
21क्या मनुष्य का प्राण ऊपर की ओर चढ़ता है और पशुओं का प्राण नीचे की ओर जाकर मिट्टी में मिल जाता है? यह कौन जानता है?

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