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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - वाइज़ - वाइज़ 8

वाइज़ 8:4-13

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4इसलिए कि बा'दशाह का हुक्म बाइख़्तियार है, और उससे कौन कहेगा कि तू ये क्या करता है?
5जो कोई हुक्म मानता है, बुराई को न देखेगा और दानिशमंद का दिल मौक़े' और इन्साफ को समझता है।
6इसलिए कि हर अम्र का मौक़ा' और क़ायदा है, लेकिन इंसान की मुसीबत उस पर भारी है।
7क्यूँकि जो कुछ होगा उसको मा'लूम नहीं, और कौन उसे बता सकता है कि क्यूँकर होगा?
8किसी आदमी को रूह पर इख़्तियार नहीं कि उसे रोक सके, और मरने का दिन भी उसके इख़्तियार से बाहर है; और उस लड़ाई से छुट्टी नहीं मिलतीऔर न शरारत उसको जो उसमे ग़र्क़ हैं छुड़ाएगी
9ये सब मैंने देखा और अपना दिल सारे काम पर जो दुनिया' में किया जाता है लगाया। ऐसा वक़्त है जिसमें एक शख़्स दूसरे पर हुकूमत करके अपने ऊपर बला लाता है।
10इसके 'अलावा मैंने देखा कि शरीर गाड़े गए, और लोग भी आए और रास्तबाज़ पाक मक़ाम से निकले और अपने शहर में फ़रामोश हो गए; ये भी बेकारहै।
11क्यूँकि बुरे काम पर सज़ा का हुक्म फ़ौरन नहीं दिया जाता, इसलिए बनी आदम का दिल उनमें बुराई पर बाशिद्दत मायल है।
12अगरचे गुनहगार सौ बार बुराई करें और उसकी उम्र दराज़ हो, तोभी मैं यक़ीनन जानता हूँ कि उन ही का भला होगा जो ख़ुदा तरस हैं और उसके सामने काँपते हैं;
13लेकिन गुनहगार का भला कभी न होगा, और न वह अपने दिनों को साये की तरह बढ़ाएगा, इसलिए कि वह ख़ुदा के सामने काँपता नहीं।

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