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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - वाइज़ - वाइज़ 4

वाइज़ 4:6-16

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6एक मुट्ठी भर जो चैन के साथ हो, उन दो मुट्ठियों से बेहतर है जिनके साथ मेहनत और हवा की चरान हो।
7और मैंने फिर कर दुनिया' के बेकारी को देखा:
8कोई अकेला है और उसके साथ कोई दूसरा नहीं; उसके न बेटा है न भाई, तोभी उसकी सारी मेहनत की इन्तिहा नहीं; और उसकी आँख दौलत से सेर नहीं होती; वह कहता है मैं किसके लिए मेहनत करता और अपनी जान को 'ऐश से महरूम रखता हूँ? ये भी बेकार है; हाँ, ये सख़्त दुख है।
9एक से दो बेहतर हैं, क्यूँकि उनकी मेहनत से उनको बड़ा फ़ायदा होता है।
10क्यूँकि अगर वह गिरें तो एक अपने साथी को उठाएगा; लेकिन उस पर अफ़सोस जो अकेला है जब वह गिरता है, क्यूँकि कोई दूसरा नहीं जो उसे उठा खड़ा करे।
11फिर अगर दो इकट्ठे लेटें तो गर्म होते हैं, लेकिन अकेला क्यूँकर गर्म हो सकता है?
12और अगर कोई एक पर ग़ालिब हो तो दो उसका सामना कर सकते है और तिहरी डोरी जल्द नहीं टूटती।
13ग़रीब और 'अक़्लमन्द लड़का उस बूढ़े बेवक़ूफ़ बा'दशाह से, जिसने नसीहत सुनना छोड़ दिया बेहतर है;
14क्यूँकि वह कै़द ख़ाने से निकल कर बा'दशाही करने आया बावजूद ये कि वह जो सल्तनत ही में पैदा हुआ ग़रीब हो चला।
15मैंने सब ज़िन्दों को जो दुनिया' में चलते फिरते हैं देखा कि वह उस दूसरे जवान के साथ थे जो उसका जानशीन होने के लिए खड़ा हुआ।
16उन सब लोगों का या'नी उन सब का जिन पर वह हुक्मरान था कुछ शुमार न था, तोभी वह जो उसके बाद उठेंगे उससे ख़ुश न होंगे। यक़ीनन ये भी बेकार और हवा की चरान है।

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