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पवित्र बाइबिल - लैव्यव्यवस्था - लैव्यव्यवस्था 19

लैव्यव्यवस्था 19:11-31

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11“तुम चोरी न करना, और एक दूसरे से, न तो कपट करना, और न झूठ बोलना।
12तुम मेरे नाम की झूठी शपथ खाके अपने परमेश्‍वर का नाम अपवित्र न ठहराना; मैं यहोवा हूँ। (मत्ती 5:33)
13“एक दूसरे पर अंधेर न करना, और न एक दूसरे को लूट लेना। मजदूर की मजदूरी तेरे पास सारी रात सवेरे तक न रहने पाए। (मत्ती 20:8, 1 तीमु. 5:18, याकूब. 5:4)
14बहरे को श्राप न देना, और न अंधे के आगे ठोकर रखना; और अपने परमेश्‍वर का भय मानना; मैं यहोवा हूँ।
15“न्याय में कुटिलता न करना; और न तो कंगाल का पक्ष करना और न बड़े मनुष्यों का मुँह देखा विचार करना; एक दूसरे का न्याय धर्म से करना।
16बकवादी बनके अपने लोगों में न फिरा करना, और एक दूसरे का लहू बहाने की युक्तियाँ न बाँधना; मैं यहोवा हूँ।
17“अपने मन में एक दूसरे के प्रति बैर न रखना*; अपने पड़ोसी को अवश्य डाँटना, नहीं तो उसके पाप का भार तुझको उठाना पड़ेगा। (मत्ती 18:15)
18बदला न लेना, और न अपने जाति भाइयों से बैर रखना, परन्तु एक दूसरे से अपने समान प्रेम रखना; मैं यहोवा हूँ। (मत्ती 5:43, मत्ती 19:19, मत्ती 22:39, मर. 12:31-33, लूका 10:27, रोम. 12:19, रोम. 13:9, गला. 5:14, याकूब. 2:8)
19“तुम मेरी विधियों को निरन्तर मानना। अपने पशुओं को भिन्न जाति के पशुओं से मेल न खाने देना; अपने खेत में दो प्रकार के बीज इकट्ठे न बोना; और सनी और ऊन की मिलावट से बना हुआ वस्त्र न पहनना।
20“फिर कोई स्त्री दासी हो, और उसकी मंगनी किसी पुरुष से हुई हो*, परन्तु वह न तो दास से और न सेंत-मेंत स्वाधीन की गई हो; उससे यदि कोई कुकर्म करे, तो उन दोनों को दण्ड तो मिले, पर उस स्त्री के स्वाधीन न होने के कारण वे दोनों मार न डाले जाएँ।
21पर वह पुरुष मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के पास एक मेढ़ा दोषबलि के लिये ले आए।
22और याजक उसके किये हुए पाप के कारण दोषबलि के मेढ़े के द्वारा उसके लिये यहोवा के सामने प्रायश्चित करे; तब उसका किया हुआ पाप क्षमा किया जाएगा।
23“फिर जब तुम कनान देश में पहुँचकर किसी प्रकार के फल के वृक्ष लगाओ, तो उनके फल तीन वर्ष तक तुम्हारे लिये मानो खतनारहित ठहरे रहें; इसलिए उनमें से कुछ न खाया जाए।
24और चौथे वर्ष में उनके सब फल यहोवा की स्तुति करने के लिये पवित्र ठहरें।
25तब पाँचवें वर्ष में तुम उनके फल खाना, इसलिए कि उनसे तुमको बहुत फल मिलें; मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ।
26“तुम लहू लगा हुआ कुछ माँस न खाना। और न टोना करना, और न शुभ या अशुभ मुहूर्त्तों को मानना।
27अपने सिर में घेरा रखकर न मुँड़ाना, और न अपने गाल के बालों को मुँड़ाना।
28मुर्दों के कारण अपने शरीर को बिलकुल न चीरना, और न उसमें छाप लगाना; मैं यहोवा हूँ।
29“अपनी बेटियों को वेश्या बनाकर अपवित्र न करना, ऐसा न हो कि देश वेश्यागमन के कारण महापाप से भर जाए।
30मेरे विश्रामदिन को माना करना, और मेरे पवित्रस्‍थान का भय निरन्तर मानना; मैं यहोवा हूँ।
31“ओझाओं और भूत साधने वालों की ओर न फिरना, और ऐसों की खोज करके उनके कारण अशुद्ध न हो जाना; मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ।

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