13“फिर भीड़ में से एक ने उससे कहा, ऐ उस्ताद! मेरे भाई से कह कि मेरे बाप की जायदाद का मेरा हिस्सा मुझे दे।”
14उसने उससे कहा, “मियाँ! किसने मुझे तुम्हारा मुन्सिफ़ या बाँटने वाला मुक़र्रर किया है?”
15और उसने उनसे कहा, “ख़बरदार! अपने आप को हर तरह के लालच से बचाए रख्खो, क्यूँकि किसी की ज़िन्दगी उसके माल की ज़्यादती पर मौक़ूफ़ नहीं।”
16और उसने उनसे एक मिसाल कही, “किसी दौलतमन्द की ज़मीन में बड़ी फ़सल हुई।“