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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - लूका - लूका 11

लूका 11:18-37

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18और अगर शैतान भी अपना मुख़ालिफ़ हो जाए, तो उसकी सल्तनत किस तरह क़ाईम रहेगी? क्यूँकि तुम मेरे बारे में कहते हो, कि ये बदरूहों को बा'लज़बूल की मदद से निकालता है।
19और अगर में बदरूहों को बा'लज़बूल की मदद से निकलता हूँ, तो तुम्हारे बेटे किसकी मदद से निकालते हैं? पस वही तुम्हारा फ़ैसला करेंगे।
20लेकिन अगर मैं बदरूहों को ख़ुदा की क़ुदरत से निकालता हूँ, तो ख़ुदा की बादशाही तुम्हारे पास आ पहुँची।
21जब ताक़तवर आदमी हथियार बाँधे हुए अपनी हवेली की रखवाली करता है, तो उसका माल महफ़ूज़ रहता है।
22लेकिन जब उससे कोई ताक़तवर हमला करके उस पर ग़ालिब आता है, तो उसके सब हथियार जिन पर उसका भरोसा था छीन लेता और उसका माल लूट कर बाँट देता है।
23जो मेरी तरफ़ नहीं वो मेरे ख़िलाफ़ है, और जो मेरे साथ जमा नहीं करता वो बिखेरता है।”
24“जब नापाक रूह आदमी में से निकलती है तो सूखे मुक़ामों में आराम ढूँडती फिरती है, और जब नहीं पाती तो कहती है, 'मैं अपने उसी घर में लौट जाऊँगी जिससे निकली हूँ।
25और आकर उसे झड़ा हुआ और आरास्ता पाती है।
26फिर जाकर और सात रूहें अपने से बुरी अपने साथ ले आती है और वो उसमें दाख़िल होकर वहाँ बसती हैं, और उस आदमी का पिछला हाल पहले से भी ख़राब हो जाता है।”
27जब वो ये बातें कह रहा था तो ऐसा हुआ कि भीड़ में से एक 'औरत ने पुकार कर उससे कहा, मुबारिक़ है वो पेट जिसमें तू रहा और वो आंचल जो तू ने पिए।”
28उसने कहा, “हाँ; मगर ज़्यादा मुबारिक़ वो है जो ख़ुदा का कलाम सुनते और उस पर 'अमल करते हैं।”
29जब बड़ी भीड़ जमा होती जाती थी तो वो कहने लगा, “इस ज़माने के लोग बुरे हैं, वो निशान तलब करते हैं; मगर यहून्ना के निशान के सिवा कोई और निशान उनको न दिया जाएगा।”
30क्यूँकि जिस तरह यहून्ना निनवे के लोगों के लिए निशान ठहरा, उसी तरह इब्न — ए — आदम भी इस ज़माने के लोगों के लिए ठहरेगा।
31दक्खिन की मलिका इस ज़माने के आदमियों के साथ 'अदालत के दिन उठकर उनको मुजरिम ठहराएगी, क्यूँकि वो दुनिया के किनारे से सुलैमान की हिक्मत सुनने को आई, और देखो, यहाँ वो है जो सुलैमान से भी बड़ा है।
32निनवे के लोग इस ज़माने के लोगों के साथ, 'अदालत के दिन खड़े होकर उनको मुजरिम ठहराएँगे; क्यूँकि उन्होंने यहून्ना के एलान पर तौबा कर ली, और देखो, यहाँ वो है जो यहून्ना से भी बड़ा है।
33“कोई शख़्स चराग़ जला कर तहखाने में या पैमाने के नीचे नहीं रखता, बल्कि चराग़दान पर रखता है ताकि अन्दर जाने वालों को रोशनी दिखाई दे।
34तेरे बदन का चराग़ तेरी आँख है, जब तेरी आँख दुरुस्त है तो तेरा सारा बदन भी रोशन है, और जब ख़राब है तो तेरा बदन भी तारीक है।
35पस देख, जो रोशनी तुझ में है तारीकी तो नहीं!
36पस अगर तेरा सारा बदन रोशन हो और कोई हिस्सा तारीक न रहे, तो वो तमाम ऐसा रोशन होगा जैसा उस वक़्त होता है जब चराग़ अपने चमक से रोशन करता है।”
37जो वो बात कर रहा था तो किसी फ़रीसी ने उसकी दा'वत की। पस वो अन्दर जाकर खाना खाने बैठा।

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