16उनकी राहों में तबाही और बदहाली है।
17और वह सलामती की राह से वाक़िफ़ न हुए।
18उन की आँखों में ख़ुदा का ख़ौफ़ नहीं।”
19अब हम जानते हैं कि शरी'अत जो कुछ कहती है उनसे कहती है जो शरी'अत के मातहत हैं ताकि हर एक का मुँह बन्द हो जाए और सारी दुनिया ख़ुदा के नज़दीक सज़ा के लायक़ ठहरे।