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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - रोमि - रोमि 10

रोमि 10:10-21

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10क्यूँकि रास्तबाज़ी के लिए ईमान लाना दिल से होता है और नजात के लिए इक़रार मुँह से किया जाता है।
11चुनाँचे किताब — ए — मुक़द्दस ये कहती है “जो कोई उस पर ईमान लाएगा वो शर्मिन्दा न होगा।”
12क्यूँकि यहूदियों और यूनानियों में कुछ फ़र्क़ नहीं इसलिए कि वही सब का ख़ुदावन्द है और अपने सब दुआ करनेवालों के लिए फ़य्याज़ है।
13क्यूँकि “जो कोई ख़ुदावन्द का नाम लेगा नजात पाएगा।”
14मगर जिस पर वो ईमान नहीं लाए उस से क्यूँकर दुआ करें? और जिसका ज़िक्र उन्होंने सुना नहीं उस पर ईमान क्यूँ लाएँ? और बग़ैर ऐलान करने वाले की क्यूँकर सुनें?
15और जब तक वो भेजे न जाएँ ऐलान क्यूँकर करें? चुनाँचे लिखा है “क्या ही ख़ुशनुमा हैं उनके क़दम जो अच्छी चीज़ों की ख़ुशख़बरी देते हैं।”
16लेकिन सब ने इस ख़ुशख़बरी पर कान न धरा चुनाँचे यसायाह कहता है “ऐ ख़ुदावन्द हमारे पैग़ाम का किसने यक़ीन किया है?”
17पस ईमान सुनने से पैदा होता है और सुनना मसीह के कलाम से।
18लेकिन मैं कहता हूँ, क्या उन्होंने नहीं सुना? चुनाँचे लिखा है, “उनकी आवाज़ तमाम रू'ए ज़मीन पर और उनकी बातें दुनिया की इन्तिहा तक पहुँची”।
19फिर मैं कहता हूँ, क्या इस्राईल वाक़िफ़ न था? पहले तो मूसा कहता है, “उन से तुम को ग़ैरत दिलाऊँगा जो क़ौम ही नहीं एक नादान क़ौम से तुम को ग़ुस्सा दिलाऊँगा।”
20फिर यसायाह बड़ा दिलेर होकर ये कहता है जिन्होंने मुझे नहीं ढूंडा उन्होंने मुझे पा लिया जिन्होंने मुझ से नहीं पूछा उन पर में ज़ाहिर हो गया।
21लेकिन इस्राईल के हक़ में यूँ कहता है “मैं दिन भर एक नाफ़रमान और हुज्जती उम्मत की तरफ़ अपने हाथ बढ़ाए रहा।”

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