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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - रसूलों - रसूलों 24

रसूलों 24:3-23

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3हम हर तरह और हर जगह कमाल शुक्र गुज़ारी के साथ तेरा एहसान मानते हैं।
4मगर इस लिए कि तुझे ज़्यादा तकलीफ़ न दूँ, मैं तेरी मिन्नत करता हूँ कि तू मेहरबानी से दो एक बातें हमारी सुन ले।
5क्यूँकि हम ने इस शख़्स को फ़साद करने वाला और दुनिया के सब यहूदियों में फ़ितना अंगेज़ और नासरियों की बिद'अती फ़िरक़े का सरगिरोह पाया।
6इस ने हैकल को नापाक करने की भी कोशिश की थी, और हम ने इसे पकड़ा। और हम ने चाहा कि अपनी शरी'अत के मुवाफ़िक़ इस की अदालत करें।
7लेकिन लूसियास सरदार आकर बड़ी ज़बरदस्ती से उसे हमारे हाथ से छीन ले गया।
8और उसके मुद्दइयों को हुक्म दिया कि तेरे पास जाएँ इसी से तहक़ीक़ करके तू आप इन सब बातों को मालूम कर सकता है, जिनका हम इस पर इल्ज़ाम लगाते हैं।
9और दूसरे यहूदियों ने भी इस दा'वे में मुत्तफ़िक़ हो कर कहा कि ये बातें इसी तरह हैं।
10जब हाकिम ने पौलुस को बोलने का इशारा किया तो उस ने जवाब दिया, चूँकि मैं जानता हूँ, कि तू बहुत बरसों से इस क़ौम की अदालत करता है, इसलिए मैं ख़ुद से अपना उज़्र बयान करता हूँ।
11तू मालूम कर सकता है, कि बारह दिन से ज़्यादा नहीं हुए कि मैं येरूशलेम में इबादत करने गया था।
12और उन्होंने मुझे न हैकल में किसी के साथ बहस करते या लोगों में फ़साद कराते पाया न इबादतख़ानों में न शहर में।
13और न वो इन बातों को जिन का मुझ पर अब इल्ज़ाम लगाते हैं, तेरे सामने साबित कर सकते हैं।
14लेकिन तेरे सामने ये इक़रार करता हूँ, कि जिस तरीक़े को वो बिद'अत कहते हैं, उसी के मुताबिक़ मैं अपने बाप दादा के ख़ुदा की इबादत करता हूँ, और जो कुछ तौरेत और नबियों के सहीफ़ों में लिखा है, उस सब पर मेरा ईमान है।
15और ख़ुदा से उसी बात की उम्मीद रखता हूँ, जिसके वो ख़ुद भी मुन्तज़िर हैं, कि रास्तबाज़ों और नारास्तों दोनों की क़यामत होगी।
16इसलिए मैं ख़ुद भी कोशिश में रहता हूँ, कि ख़ुदा और आदमियों के बारे में मेरा दिल मुझे कभी मलामत न करे।
17बहुत बरसों के बाद मैं अपनी क़ौम को ख़ैरात पहुँचाने और नज़्रें चढ़ाने आया था।
18उन्होंने बग़ैर हँगामे या बवाल के मुझे तहारत की हालत में ये काम करते हुए हैकल में पाया, यहाँ आसिया के चन्द यहूदी थे।
19और अगर उन का मुझ पर कुछ दा'वा था, तो उन्हें तेरे सामने हाज़िर हो कर फ़रियाद करना वाजिब था।
20या यही ख़ुद कहें, कि जब मैं सद्र — ए — अदालत के सामने खड़ा था, तो मुझ में क्या बुराई पाई थी।
21सिवा इस बात के कि मैं ने उन में खड़े हो कर बुलन्द आवाज़ से कहा था कि मुर्दों की क़यामत के बारे में आज मुझ पर मुक़द्दमा हो रहा है।
22फ़ेलिक्स ने जो सहीह तौर पर इस तरीक़े से वाक़िफ़ था “ये कह कर मुक़द्दमे को मुल्तवी कर दिया कि जब पलटन का सरदार लूसियास आएगा तो मैं तुम्हारा मुक़द्दमा फ़ैसला करूँगा।”
23और सुबेदार को हुक्म दिया कि उस को क़ैद तो रख मगर आराम से रखना और इसके दोस्तों में से किसी को इसकी ख़िदमत करने से मनह' न करना।

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