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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - रसूलों - रसूलों 23

रसूलों 23:10-30

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10और जब बड़ी तकरार हुई तो पलटन के सरदार ने इस ख़ौफ़ से कि उस वक़्त पौलुस के टुकड़े कर दिए जाएँ, फ़ौज को हुक्म दिया कि उतर कर उसे उन में से ज़बरदस्ती निकालो और क़िले में ले जाओ।
11उसी रात ख़ुदावन्द उसके पास आ खड़ा हुआ, और कहा, “इत्मीनान रख; कि जैसे तू ने मेरे बारे में येरूशलेम में गवाही दी है वैसे ही तुझे रोमा में भी गवाही देनी होगी।”
12जब दिन हुआ तो यहूदियों ने एका कर के और ला'नत की क़सम खाकर कहा “कि जब तक हम पौलुस को क़त्ल न कर लें न कुछ खाएँगे न पीएँगे।”
13और जिन्हों ने आपस में ये साज़िश की वो चालीस से ज़्यादा थे।
14पस, उन्हों ने सरदार काहिनों और बुज़ुर्गों के पास जाकर कहा “कि हम ने सख़्त ला'नत की क़सम खाई है कि जब तक हम पौलुस को क़त्ल न कर लें कुछ न चखेंगे।
15पस, अब तुम सद्र — ए — अदालत वालों से मिलकर पलटन के सरदार से अर्ज़ करो कि उसे तुम्हारे पास लाए। गोया तुम उसके मु'अमिले की हक़ीक़त ज़्यादा मालूम करना चाहते हो, और हम उसके पहुँचने से पहले उसे मार डालने को तैयार हैं”
16लेकिन पौलुस का भांजा उनकी घात का हाल सुन कर आया और क़िले में जाकर पौलुस को ख़बर दी।
17पौलुस ने सुबेदारों में से एक को बुला कर कहा “इस जवान को पलटन के सरदार के पास ले जाऐ उस से कुछ कहना चाहता है।”
18उस ने उस को पलटन के सरदार के पास ले जा कर कहा कि पौलुस क़ैदी ने मुझे बुला कर दरख़्वास्त की कि जवान को तेरे पास लाऊँ। कि तुझ से कुछ कहना चाहता है।
19पलटन के सरदार ने उसका हाथ पकड़ कर और अलग जा कर पूछा “कि मुझ से क्या कहना चाहता है?”
20उस ने कहा “यहूदियों ने मशवरा किया है, कि तुझ से दरख़्वास्त करें कि कल पौलुस को सद्र — ए — अदालत में लाए। गोया तू उस के हाल की और भी तहक़ीक़ात करना चाहता है।
21लेकिन तू उन की न मानना, क्यूँकि उन में चालीस शख़्स से ज़्यादा उस की घात में हैं जिन्होंने ला'नत की क़सम खाई है, कि जब तक उसे मार न डालें न खाएँगे न पिएँगे और अब वो तैयार हैं, सिर्फ़ तेरे वादे का इन्तज़ार है।”
22पस, सरदार ने जवान को ये हुक्म दे कर रुख़्सत किया कि किसी से न कहना कि तू ने मुझ पर ये ज़ाहिर किया।
23और दो सुबेदारों को पास बुला कर कहा कि “दो सौ सिपाही और सत्तर सवार और दो सौ नेज़ा बरदार पहर रात गए, क़ैसरिया जाने को तैयार कर रखना।
24और हुक्म दिया पौलुस की सवारी के लिए जानवरों को भी हाज़िर करें, ताकि उसे फ़ेलिक्स हाकिम के पास सहीह सलामत पहुँचा दें।”
25और इस मज़्मून का ख़त लिखा।
26क्लोदियुस लूसियास का फ़ेलिक्स बहादुर हाकिम को सलाम।
27इस शख़्स को यहूदियों ने पकड़ कर मार डालना चाहा मगर जब मुझे मा'लूम हुआ कि ये रोमी है तो फ़ौज समेत चढ़ गया, और छुड़ा लाया।
28और इस बात की दरियाफ़्त करने का इरादा करके कि वो किस वजह से उस पर ला'नत करते हैं; उसे उन की सद्र — ए — अदालत में ले गया।
29और मा'लूम हुआ कि वो अपनी शरी'अत के मस्लों के बारे में उस पर नालिश करते हैं; लेकिन उस पर कोई ऐसा इल्ज़ाम नहीं लगाया गया कि क़त्ल या क़ैद के लायक़ हो।
30और जब मुझे इत्तला हुई कि इस शख़्स के बर — ख़िलाफ़ साज़िश होने वाली है, तो मैंने इसे फ़ौरन तेरे पास भेज दिया है और इस के मुद्द, इयों को भी हुक्म दे दिया है कि तेरे सामने इस पर दा'वा करें।

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