25इस शख़्स ने ख़ुदावन्द की राह की ता'लीम पाई थी, और रूहानी जोश से कलाम करता और ईसा की वजह से सहीह सहीह ता'लीम देता था। मगर सिर्फ़ यूहन्ना के बपतिस्मे से वाक़िफ़ था।
26वो इबादतख़ाने में दिलेरी से बोलने लगा, मगर प्रिस्किल्ला और अक्विला उसकी बातें सुनकर उसे अपने घर ले गए। और उसको ख़ुदा की राह और अच्छी तरह से बताई।
27जब उस ने इरादा किया कि पार उतर कर अख़िया को जाए तो भाइयों ने उसकी हिम्मत बढ़ाकर शागिर्दों को लिखा कि उससे अच्छी तरह मिलना। उस ने वहाँ पहुँचकर उन लोगों की बड़ी मदद की जो फ़ज़ल की वजह से ईमान लाए थे।
28क्यूँकि वो किताब — ए — मुक़द्दस से ईसा का मसीह होना साबित करके बड़े ज़ोर शोर से यहूदियों को ऐलानिया क़ायल करता रहा।