20जब उन्होंने उस से दरख़्वास्त की, और कुछ अरसे हमारे साथ रह तो उस ने मंज़ूर न किया।
21बल्कि ये कह कर उन से रुख़्सत हुआ अगर ख़ुदा ने चाहा तो तुम्हारे पास फिर आऊँगा और इफ़िसुस से जहाज़ पर रवाना हुआ।
22फिर क़ैसरिया में उतर कर येरूशलेम को गया, और कलीसिया को सलाम करके अन्ताकिया में आया।
23और चन्द रोज़ रह कर वहाँ से रवाना हुआ, और तरतीब वार ग़लतिया सूबे के इलाक़े और फ्रूगिया सूबे से गुज़रता हुआ सब शागिर्दों को मज़बूत करता गया।
24फिर अपुल्लोस नाम के एक यहूदी इसकन्दरिया शहर की पैदाइश ख़ुशतक़रीर किताब — ए — मुक़द्दस का माहिर इफ़िसुस में पहुँचा।
25इस शख़्स ने ख़ुदावन्द की राह की ता'लीम पाई थी, और रूहानी जोश से कलाम करता और ईसा की वजह से सहीह सहीह ता'लीम देता था। मगर सिर्फ़ यूहन्ना के बपतिस्मे से वाक़िफ़ था।