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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - रसूलों - रसूलों 12

रसूलों 12:3-22

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3जब देखा कि ये बात यहूदी अगुवों को पसन्द आई, तो पतरस को भी गिरफ़्तार कर लिया। ये ईद 'ए फ़तीर के दिन थे।
4और उसको पकड़ कर क़ैद किया और निगहबानी के लिए चार चार सिपाहियों के चार पहरों में रखा इस इरादे से कि फ़सह के बाद उसको लोगों के सामने पेश करे।
5पस, क़ैद खाने में तो पतरस की निगहबानी हो रही थी, मगर कलीसिया उसके लिए दिलो' जान से ख़ुदा से दुआ कर रही थी।
6और जब हेरोदेस उसे पेश करने को था, तो उसी रात पतरस दो ज़ंजीरों से बँधा हुआ दो सिपाहियों के बीच सोता था, और पहरे वाले दरवाज़े पर क़ैदख़ाने की निगहबानी कर रहे थे।
7कि देखो, ख़ुदावन्द का एक फ़रिश्ता खड़ा हुआ और उस कोठरी में नूर चमक गया और उस ने पतरस की पसली पर हाथ मार कर उसे जगाया और कहा कि जल्द उठ! और ज़ंजीरें उसके हाथ से खुल पड़ीं।
8फिर फ़रिश्ते ने उस से कहा, “कमर बाँध और अपनी जूती पहन ले।” उस ने ऐसा ही किया, फिर उस ने उस से कहा, “अपना चोग़ा पहन कर मेरे पीछे हो ले।”
9वो निकल कर उसके पीछे हो लिया, और ये न जाना कि जो कुछ फ़रिश्ते की तरफ़ से हो रहा है वो वाक़'ई है बल्कि ये समझा कि ख़्वाब देख रहा हूँ।
10पस, वो पहले और दूसरे हल्क़े में से निकलकर उस लोहे के फाटक पर पहुँचे, जो शहर की तरफ़ है। वो आप ही उन के लिए खुल गया, पस वो निकलकर गली के उस किनारे तक गए; और फ़ौरन फ़रिश्ता उस के पास से चला गया।
11और पतरस ने होश में आकर कहा कि अब मैने सच जान लिया कि ख़ुदावन्द ने अपना फ़रिश्ता भेज कर मुझे हेरोदेस के हाथों से छुड़ा लिया, और यहूदी क़ौम की सारी उम्मीद तोड़ दी।
12और इस पर ग़ौर कर के उस यूहन्ना की माँ मरियम के घर आया, जो मरकुस कहलाता है, वहाँ बहुत से आदमी जमा हो कर दुआ कर रहे थे।
13जब उस ने फाटक की खिड़की खटखटाई, तो रुदी नाम एक लौंडी आवाज़ सुनने आई।
14और पतरस की आवाज़ पहचान कर ख़ुशी के मारे फाटक न खोला, बल्कि दौड़कर अन्दर ख़बर की कि पतरस फाटक पर खड़ा है!
15उन्हों ने उस से कहा, “तू दिवानी है लेकिन वो यक़ीन से कहती रही कि यूँ ही है! उन्होंने कहा कि उसका फ़रिश्ता होगा।”
16मगर पतरस खटखटाता रहा पस, उन्हों ने खिड़की खोली और उस को देख कर हैरान हो गए।
17उस ने उन्हें हाथ से इशारा किया कि चुप रहें। और उन से बयान किया कि ख़ुदावन्द ने मुझे इस तरह क़ैदख़ाने से निकाला फिर कहा कि या'क़ूब और भाइयों को इस बात की ख़बर देना, और रवाना होकर दूसरी जगह चला गया।
18जब सुबह हुई तो सिपाही बहुत घबराए, कि पतरस क्या हुआ।
19जब हेरोदेस ने उस की तलाश की और न पाया तो पहरे वालों की तहक़ीक़ात करके उनके क़त्ल का हुक्म दिया; और यहूदिया सूबे को छोड़ कर क़ैसरिया शहर में जा बसा।
20और वो सूर और सैदा के लोगों से निहायत नाख़ुश था, पस वो एक दिल हो कर उसके पास आए, और बादशाह के दरबान बलस्तुस को अपनी तरफ़ करके सुलह चाही, इसलिए कि उन के मुल्क को बादशाह के मुल्क से इम्दाद पहुँचती थी।
21पस, हेरोदेस एक दिन मुक़र्रर करके और शाहाना पोशाक पहन कर तख़्त — ए, अदालत पर बैठा, और उन से कलाम करने लगा।
22लोग पुकार उठे कि ये तो ख़ुदा की आवाज़ है न इंसान की, “यह ख़ुदावन्द की आवाज़ है, इन्सान की नहीं।”

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