7और ये आवाज़ भी सुनी कि “ऐ पतरस उठ ज़बह कर और खा!”
8लेकिन मै ने कहा “ऐ ख़ुदावन्द हरगिज़ नहीं 'क्यूँकि कभी कोई हराम या नापाक चीज़ खाया ही नहीं।”
9इसके जावाब में दूसरी बार आसमान से आवाज़ आई; “जिनको ख़ुदा ने पाक ठहराया है; तू उन्हें हराम न कह।”
10तीन बार ऐसा ही हुआ, फिर वो सब चीज़ें आसमान की तरफ़ खींच ली गई।
11और देखो' उसी वक़्त तीन आदमी जो क़ैसरिया से मेरे पास भेजे गए थे, उस घर के पास आ खड़े हुए जिस में हम थे।
12रूह ने मुझ से कहा कि तू बिला इम्तियाज़ उनके साथ चला जा और ये छे:भाई भी मेरे साथ हो लिए और हम उस शख़्स के घर में दाख़िल हुए।