31और कहा कि ऐ'कुर्नेलियुस तेरी दुआ सुन ली गई और तेरी ख़ैरात की ख़ुदा के हुज़ूर याद हुई।
32पस किसी को याफ़ा में भेज कर शमौन को जो पतरस कहलाता है अपने पास बुला, वो समुन्दर के किनारे शमौन दब्बाग़ के घर में मेहमान है।
33पस उसी दम में ने तेरे पास आदमी भेजे और तूने ख़ूब किया जो आ गया, अब हम सब ख़ुदा के हुज़ूर हाज़िर हैं ताकि जो कुछ ख़ुदावन्द ने फ़रमाया है उसे सुनें।
34पतरस ने ज़बान खोल कर कहा, अब मुझे पूरा यक़ीन हो गया कि ख़ुदा किसी का तरफ़दार नहीं।
35बल्कि हर क़ौम में जो उस से डरता और रास्तबाज़ी करता है, वो उसको पसन्द आता है।
36जो कलाम उस ने बनी इस्राईल के पास भेजा, जब कि ईसा मसीह के ज़रिए जो सब का ख़ुदा है, सुलह की ख़ुशख़बरी दी।
37इस बात को तुम जानते हो जो यूहन्ना के बपतिस्मे की मनादी के बाद गलील से शुरू होकर तमाम यहूदिया सूबा में मशहूर हो गई।
38कि ख़ुदा ने ईसा नासरी को रूह — उल — क़ुद्दूस और क़ुदरत से किस तरह मसह किया, वो भलाई करता और उन सब को जो इब्लीस के हाथ से ज़ुल्म उठाते थे शिफ़ा देता फिरा, क्यूँकि ख़ुदा उसके साथ था।
39और हम उन सब कामों के गवाह हैं, जो उस ने यहूदियों के मुल्क और येरूशलेम में किए, और उन्हों ने उस को सलीब पर लटका कर मार डाला।
40उस को ख़ुदा ने तीसरे दिन जिलाया और ज़ाहिर भी कर दिया।
41न कि सारी उम्मत पर बल्कि उन गवाहों पर जो आगे से ख़ुदा के चुने हुए थे, या'नी हम पर जिन्हों ने उसके मुर्दों में से जी उठने कि बाद उसके साथ खाया पिया।
42और उस ने हमें हुक्म दिया कि उम्मत में ऐलान करो और गवाही दो कि ये वही है जो ख़ुदा की तरफ़ से ज़िन्दों और मुर्दों का मुन्सिफ़ मुक़र्रर किया गया।
43इस शख़्स की सब नबी गवाही देते हैं, कि जो कोई उस पर ईमान लाएगा, उस के नाम से गुनाहों की मु'आफ़ी हासिल करेगा।