7फ़िलिप्पुस ने उसे जवाब दिया, “दो सौ दिन मज़दूरी की रोटियाँ इनके लिए काफ़ी न होंगी, कि हर एक को थोड़ी सी मिल जाए।”
8उसके शागिर्दों में से एक ने, या'नी शमौन पतरस के भाई अन्द्रियास ने, उससे कहा,
9“यहाँ एक लड़का है जिसके पास जौ की पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ हैं, मगर ये इतने लोगों में क्या हैं?”
10ईसा ने कहा, “लोगों को बिठाओ।” और उस जगह बहुत घास थी। पस वो मर्द जो तक़रीबन पाँच हज़ार थे बैठ गए।
11ईसा ने वो रोटियाँ ली और शुक्र करके उन्हें जो बैठे थे बाँट दीं, और इसी तरह मछलियों में से जिस क़दर चाहते थे बाँट दिया।