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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - यूह - यूह 4

यूह 4:29-54

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29“आओ, एक आदमी को देखो, जिसने मेरे सब काम मुझे बता दिए। क्या मुम्किन है कि मसीह यही है?”
30वो शहर से निकल कर उसके पास आने लगे।
31इतने में उसके शागिर्द उससे ये दरख़्वास्त करने लगे, “ऐ रब्बी! कुछ खा ले।”
32लेकिन उसने कहा, “मेरे पास खाने के लिए ऐसा खाना है जिसे तुम नहीं जानते।”
33पस शागिर्दों ने आपस में कहा, “क्या कोई उसके लिए कुछ खाने को लाया है?”
34ईसा ने उनसे कहा, “मेरा खाना, ये है, कि अपने भेजनेवाले की मर्ज़ी के मुताबिक़ 'अमल करूँ और उसका काम पूरा करूँ।।
35क्या तुम कहते नहीं, 'फ़सल के आने में अभी चार महीने बाक़ी हैं'? देखो, मैं तुम से कहता हूँ, अपनी आँखें उठाकर खेतों पर नज़र करो कि फ़सल पक गई है।
36और काटनेवाला मज़दूरी पाता और हमेशा की ज़िन्दगी के लिए फल जमा करता है, ताकि बोनेवाला और काटनेवाला दोनों मिलकर ख़ुशी करें।
37क्यूँकि इस पर ये मिसाल ठीक आती है, 'बोनेवाला और काटनेवाला और।'
38मैंने तुम्हें वो खेत काटने के लिए भेजा जिस पर तुम ने मेहनत नहीं की, औरों ने मेहनत की और तुम उनकी मेहनत के फल में शरीक हुए।”
39और उस शहर के बहुत से सामरी उस 'औरत के कहने से, जिसने गवाही दी, उसने मेरे सब काम मुझे बता दिए, उस पर ईमान लाए।
40पस जब वो सामरी उसके पास आए, तो उससे दरख़्वास्त करने लगे कि हमारे पास रह। चुनाँचे वो दो रोज़ वहाँ रहा।
41और उसके कलाम के ज़रिए से और भी बहुत सारे ईमान लाए
42और उस औरत से कहा “अब हम तेरे कहने ही से ईमान नहीं लाते क्यूँकि हम ने ख़ुद सुन लिया और जानते हैं कि ये हक़ीक़त में दुनियाँ का मुन्जी है।”
43फिर उन दो दिनों के बाद वो वहाँ से होकर गलील को गया।
44क्यूँकि ईसा ने ख़ुद गवाही दी कि नबी अपने वतन में इज़्ज़त नहीं पाता।
45पस जब वो गलील में आया तो ग़लतियों ने उसे क़ुबूल किया, इसलिए कि जितने काम उसने येरूशलेम में 'ईद के वक़्त किए थे, उन्होंने उनको देखा था क्यूँकि वो भी 'ईद में गए थे।
46पस फिर वो क़ाना — ए — गलील में आया, जहाँ उसने पानी को मय बनाया था, और बादशाह का एक मुलाज़िम था जिसका बेटा कफ़रनहूम में बीमार था।
47वो ये सुनकर कि ईसा यहूदिया से गलील में आ गया है, उसके पास गया और उससे दरख़्वास्त करने लगा, कि चल कर मेरे बेटे को शिफ़ा बख़्श क्यूँकि वो मरने को था।
48ईसा ने उससे कहा, “जब तक तुम निशान और 'अजीब काम न देखो, हरगिज़ ईमान न लाओगे।”
49बादशाह के मुलाज़िम ने उससे कहा, “ऐ ख़ुदावन्द! मेरे बच्चे के मरने से पहले चल।”
50ईसा ने उससे कहा, “जा; तेरा बेटा ज़िन्दा है।” उस शख़्स ने उस बात का यक़ीन किया जो ईसा ने उससे कही और चला गया।
51वो रास्ते ही में था कि उसके नौकर उसे मिले और कहने लगे, “तेरा बेटा ज़िन्दा है।”
52उसने उनसे पूछा, “उसे किस वक़्त से आराम होने लगा था?” उन्होंने कहा, “कल एक बजे उसका बुख़ार उतर गया।”
53पस बाप जान गया कि वही वक़्त था जब ईसा ने उससे कहा, “तेरा बेटा ज़िन्दा है।” और वो ख़ुद और उसका सारा घराना ईमान लाया।
54ये दूसरा करिश्मा है जो ईसा ने यहूदिया से गलील में आकर दिखाया।

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