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पवित्र बाइबिल - यूहन्ना - यूहन्ना 4

यूहन्ना 4:5-14

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5इसलिए वह सूखार* नामक सामरिया के एक नगर तक आया, जो उस भूमि के पास है जिसे याकूब ने अपने पुत्र यूसुफ को दिया था।
6और याकूब का कुआँ भी वहीं था। यीशु मार्ग का थका हुआ उस कुएँ पर यों ही बैठ गया। और यह बात दोपहर के समय हुई।
7इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई। यीशु ने उससे कहा, “मुझे पानी पिला।”
8क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे।
9उस सामरी स्त्री ने उससे कहा, “तू यहूदी होकर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों माँगता है?” क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते। (प्रेरि. 108:28)
10यीशु ने उत्तर दिया, “यदि तू परमेश्‍वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है, ‘मुझे पानी पिला,’ तो तू उससे माँगती, और वह तुझे जीवन का जल* देता।”
11स्त्री ने उससे कहा, “हे स्वामी, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कुआँ गहरा है; तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहाँ से आया?
12क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिस ने हमें यह कुआँ दिया; और आपही अपने सन्तान, और अपने पशुओं समेत उसमें से पीया?”
13यीशु ने उसको उत्तर दिया, “जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा,
14परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा*, वह उसमें एक सोता बन जाएगा, जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।”

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