8अपना-अपना हृदय ऐसा कठोर मत करो, जैसा मरीबा में, व मस्सा के दिन जंगल में हुआ था,
9जब तुम्हारे पुरखाओं ने मुझे परखा*, उन्होंने मुझ को जाँचा और मेरे काम को भी देखा।
10चालीस वर्ष तक मैं उस पीढ़ी के लोगों से रूठा रहा, और मैंने कहा, “ये तो भरमनेवाले मन के हैं, और इन्होंने मेरे मार्गों को नहीं पहचाना।”
11इस कारण मैंने क्रोध में आकर शपथ खाई कि ये मेरे विश्रामस्थान में कभी प्रवेश न करने पाएँगे*। (इब्रा 3:7-19)