22शत्रु उसको तंग करने न पाएगा, और न कुटिल जन उसको दुःख देने पाएगा।
23मैं उसके शत्रुओं को उसके सामने से नाश करूँगा, और उसके बैरियों पर विपत्ति डालूँगा।
24परन्तु मेरी सच्चाई और करुणा उस पर बनी रहेंगी, और मेरे नाम के द्वारा उसका सींग ऊँचा हो जाएगा।
25मैं समुद्र को उसके हाथ के नीचे और महानदों को उसके दाहिने हाथ के नीचे कर दूँगा।