9भला हो कि दुष्टों की बुराई का अन्त हो जाए, परन्तु धर्म को तू स्थिर कर; क्योंकि धर्मी परमेश्वर मन और मर्म का ज्ञाता है।
10मेरी ढाल परमेश्वर के हाथ में है, वह सीधे मनवालों को बचाता है।
11परमेश्वर धर्मी और न्यायी है*, वरन् ऐसा परमेश्वर है जो प्रतिदिन क्रोध करता है।
12यदि मनुष्य मन न फिराए तो वह अपनी तलवार पर सान चढ़ाएगा; और युद्ध के लिए अपना धनुष तैयार करेगा। (लूका 13:3-5)
13और उस मनुष्य के लिये उसने मृत्यु के हथियार तैयार कर लिए हैं*: वह अपने तीरों को अग्निबाण बनाता है।
14देख दुष्ट को अनर्थ काम की पीड़ाएँ हो रही हैं, उसको उत्पात का गर्भ है, और उससे झूठ का जन्म हुआ।