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पवित्र बाइबिल - भजन संहिता - भजन संहिता 78

भजन संहिता 78:38-51

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38परन्तु वह जो दयालु है, वह अधर्म को ढाँपता, और नाश नहीं करता; वह बार-बार अपने क्रोध को ठण्डा करता है, और अपनी जलजलाहट को पूरी रीति से भड़कने नहीं देता।
39उसको स्मरण हुआ कि ये नाशवान हैं, ये वायु के समान हैं जो चली जाती और लौट नहीं आती।
40उन्होंने कितनी ही बार जंगल में उससे बलवा किया, और निर्जल देश में उसको उदास किया!
41वे बार-बार परमेश्‍वर की परीक्षा करते थे, और इस्राएल के पवित्र को खेदित करते थे।
42उन्होंने न तो उसका भुजबल स्मरण किया, न वह दिन जब उसने उनको द्रोही के वश से छुड़ाया था;
43कि उसने कैसे अपने चिन्ह मिस्र में, और अपने चमत्कार सोअन के मैदान में किए थे।
44उसने तो मिस्रियों की नदियों को लहू बना डाला, और वे अपनी नदियों का जल पी न सके। (प्रका. 16:4)
45उसने उनके बीच में डांस भेजे जिन्होंने उन्हें काट खाया, और मेंढ़क भी भेजे, जिन्होंने उनका बिगाड़ किया।
46उसने उनकी भूमि की उपज कीड़ों को, और उनकी खेतीबारी टिड्डियों को खिला दी थी।
47उसने उनकी दाखलताओं को ओेलों से, और उनके गूलर के पेड़ों को ओले बरसाकर नाश किया।
48उसने उनके पशुओं को ओलों से, और उनके ढोरों को बिजलियों से मिटा दिया।
49उसने उनके ऊपर अपना प्रचण्ड क्रोध और रोष भड़काया, और उन्हें संकट में डाला, और दुःखदाई दूतों का दल भेजा।
50उसने अपने क्रोध का मार्ग खोला, और उनके प्राणों को मृत्यु से न बचाया, परन्तु उनको मरी के वश में कर दिया।
51उसने मिस्र के सब पहलौठों को मारा, जो हाम के डेरों में पौरूष के पहले फल थे;

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