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पवित्र बाइबिल - भजन संहिता - भजन संहिता 74

भजन संहिता 74:5-13

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5जो घने वन के पेड़ों पर कुल्हाड़े चलाते हैं;
6और अब वे उस भवन की नक्काशी को, कुल्हाड़ियों और हथौड़ों से बिल्कुल तोड़े डालते हैं।
7उन्होंने तेरे पवित्रस्‍थान को आग में झोंक दिया है, और तेरे नाम के निवास को गिराकर अशुद्ध कर डाला है।
8उन्होंने मन में कहा है, “हम इनको एकदम दबा दें।” उन्होंने इस देश में परमेश्‍वर के सब सभास्थानों को फूँक दिया है।
9हमको अब परमेश्‍वर के कोई अद्भुत चिन्ह दिखाई नहीं देते; अब कोई नबी नहीं रहा, न हमारे बीच कोई जानता है कि कब तक यह दशा रहेगी।
10हे परमेश्‍वर द्रोही कब तक नामधराई करता रहेगा? क्या शत्रु, तेरे नाम की निन्दा सदा करता रहेगा?
11तू अपना दाहिना हाथ क्यों रोके रहता है? उसे अपने पंजर से निकालकर उनका अन्त कर दे।
12परमेश्‍वर तो प्राचीनकाल से मेरा राजा है, वह पृथ्वी पर उद्धार के काम करता आया है।
13तूने तो अपनी शक्ति से समुद्र को दो भाग कर दिया; तूने तो समुद्री अजगरों के सिरों को फोड़ दिया*।

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