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पवित्र बाइबिल - भजन संहिता - भजन संहिता 69

भजन संहिता 69:24-35

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24उनके ऊपर अपना रोष भड़का, और तेरे क्रोध की आँच उनको लगे। (प्रका. 16:1)
25उनकी छावनी उजड़ जाए, उनके डेरों में कोई न रहे। (प्रेरि. 1:20)
26क्योंकि जिसको तूने मारा, वे उसके पीछे पड़े हैं, और जिनको तूने घायल किया, वे उनकी पीड़ा की चर्चा करते हैं। (यह. 53:4)
27उनके अधर्म पर अधर्म बढ़ा; और वे तेरे धर्म को प्राप्त न करें।
28उनका नाम जीवन की पुस्तक में से काटा जाए, और धर्मियों के संग लिखा न जाए। (लूका 10:20, प्रका. 3:5, प्रका. 20:12,15, प्रका. 21:27)
29परन्तु मैं तो दुःखी और पीड़ित हूँ, इसलिए हे परमेश्‍वर, तू मेरा उद्धार करके मुझे ऊँचे स्थान पर बैठा।
30मैं गीत गाकर तेरे नाम की स्तुति करूँगा, और धन्यवाद करता हुआ तेरी बड़ाई करूँगा।
31यह यहोवा को बैल से अधिक, वरन् सींग और खुरवाले बैल से भी अधिक भाएगा।
32नम्र लोग इसे देखकर आनन्दित होंगे, हे परमेश्‍वर के खोजियों, तुम्हारा मन हरा हो जाए*।
33क्योंकि यहोवा दरिद्रों की ओर कान लगाता है, और अपने लोगों को जो बन्दी हैं तुच्छ नहीं जानता।
34स्वर्ग और पृथ्वी उसकी स्तुति करें, और समुद्र अपने सब जीव जन्तुओं समेत उसकी स्तुति करे।
35क्योंकि परमेश्‍वर सिय्योन का उद्धार करेगा, और यहूदा के नगरों को फिर बसाएगा; और लोग फिर वहाँ बसकर उसके अधिकारी हो जाएँगे।

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