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पवित्र बाइबिल - भजन संहिता - भजन संहिता 69

भजन संहिता 69:16-27

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16हे यहोवा, मेरी सुन ले, क्योंकि तेरी करुणा उत्तम है; अपनी दया की बहुतायत के अनुसार मेरी ओर ध्यान दे।
17अपने दास से अपना मुँह न मोड़; क्योंकि मैं संकट में हूँ, फुर्ती से मेरी सुन ले।
18मेरे निकट आकर मुझे छुड़ा ले, मेरे शत्रुओं से मुझ को छुटकारा दे।
19मेरी नामधराई और लज्जा और अनादर को तू जानता है: मेरे सब द्रोही तेरे सामने हैं।
20मेरा हृदय नामधराई के कारण फट गया, और मैं बहुत उदास हूँ। मैंने किसी तरस खानेवाले की आशा तो की, परन्तु किसी को न पाया, और शान्ति देनेवाले ढूँढ़ता तो रहा, परन्तु कोई न मिला।
21लोगों ने मेरे खाने के लिये विष दिया, और मेरी प्यास बुझाने के लिये मुझे सिरका पिलाया*। (मर. 15:23,36, लूका 23:36, यूह. 19:28-29)
22उनका भोजन उनके लिये फंदा हो जाए; और उनके सुख के समय जाल बन जाए।
23उनकी आँखों पर अंधेरा छा जाए, ताकि वे देख न सके; और तू उनकी कटि को निरन्तर कँपाता रह। (रोम. 11:9-10)
24उनके ऊपर अपना रोष भड़का, और तेरे क्रोध की आँच उनको लगे। (प्रका. 16:1)
25उनकी छावनी उजड़ जाए, उनके डेरों में कोई न रहे। (प्रेरि. 1:20)
26क्योंकि जिसको तूने मारा, वे उसके पीछे पड़े हैं, और जिनको तूने घायल किया, वे उनकी पीड़ा की चर्चा करते हैं। (यह. 53:4)
27उनके अधर्म पर अधर्म बढ़ा; और वे तेरे धर्म को प्राप्त न करें।

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