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पवित्र बाइबिल - भजन संहिता - भजन संहिता 51

भजन संहिता 51:5-16

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5देख, मैं अधर्म के साथ उत्‍पन्‍न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा। (यूह. 3:6, रोमि 5:12, इफि 2:3)
6देख, तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्‍न होता है; और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा।
7जूफा से मुझे शुद्ध कर*, तो मैं पवित्र हो जाऊँगा; मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूँगा।
8मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना, जिससे जो हड्डियाँ तूने तोड़ डाली हैं, वे मगन हो जाएँ।
9अपना मुख मेरे पापों की ओर से फेर ले, और मेरे सारे अधर्म के कामों को मिटा डाल।
10हे परमेश्‍वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्‍पन्‍न कर*, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्‍पन्‍न कर।
11मुझे अपने सामने से निकाल न दे, और अपने पवित्र आत्मा को मुझसे अलग न कर।
12अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल।
13जब मैं अपराधी को तेरा मार्ग सिखाऊँगा, और पापी तेरी ओर फिरेंगे।
14हे परमेश्‍वर, हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर, मुझे हत्या के अपराध से छुड़ा ले, तब मैं तेरे धर्म का जयजयकार करने पाऊँगा।
15हे प्रभु, मेरा मुँह खोल दे तब मैं तेरा गुणानुवाद कर सकूँगा।
16क्योंकि तू बलि से प्रसन्‍न नहीं होता, नहीं तो मैं देता; होमबलि से भी तू प्रसन्‍न नहीं होता।

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