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पवित्र बाइबिल - भजन संहिता - भजन संहिता 45

भजन संहिता 45:2-13

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2तू मनुष्य की सन्तानों में परम सुन्दर है; तेरे होंठों में अनुग्रह भरा हुआ है; इसलिए परमेश्‍वर ने तुझे सदा के लिये आशीष दी है। (लूका 4:22, इब्रा. 1:3,4)
3हे वीर, तू अपनी तलवार को जो तेरा वैभव और प्रताप है अपनी कटि पर बाँध*!
4सत्यता, नम्रता और धर्म के निमित्त अपने ऐश्वर्य और प्रताप पर सफलता से सवार हो; तेरा दाहिना हाथ तुझे भयानक काम सिखाए!
5तेरे तीर तो तेज हैं, तेरे सामने देश-देश के लोग गिरेंगे; राजा के शत्रुओं के हृदय उनसे छिदेंगे।
6हे परमेश्‍वर, तेरा सिंहासन सदा सर्वदा बना रहेगा; तेरा राजदण्ड न्याय का है।
7तूने धर्म से प्रीति और दुष्टता से बैर रखा है। इस कारण परमेश्‍वर ने हाँ, तेरे परमेश्‍वर ने तुझको तेरे साथियों से अधिक हर्ष के तेल से अभिषेक किया है। (इब्रा. 1:8,9)
8तेरे सारे वस्त्र गन्धरस, अगर, और तेज से सुगन्धित हैं, तू हाथी दाँत के मन्दिरों में तारवाले बाजों के कारण आनन्दित हुआ है।
9तेरी प्रतिष्ठित स्त्रियों में राजकुमारियाँ भी हैं; तेरी दाहिनी ओर पटरानी, ओपीर के कुन्दन से विभूषित खड़ी है।
10हे राजकुमारी सुन, और कान लगाकर ध्यान दे; अपने लोगों और अपने पिता के घर को भूल जा;
11और राजा तेरे रूप की चाह करेगा। क्योंकि वह तो तेरा प्रभु है, तू उसे दण्डवत् कर।
12सोर की राजकुमारी भी भेंट करने के लिये उपस्थित होगी, प्रजा के धनवान लोग तुझे प्रसन्‍न करने का यत्न करेंगे।
13राजकुमारी महल में अति शोभायमान है, उसके वस्त्र में सुनहले बूटे कढ़े हुए हैं;

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