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पवित्र बाइबिल - भजन संहिता - भजन संहिता 40

भजन संहिता 40:1-10

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1प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन मैं धीरज से यहोवा की बाट जोहता रहा; और उसने मेरी ओर झुककर मेरी दुहाई सुनी।
2उसने मुझे सत्यानाश के गड्ढे और दलदल की कीच में से उबारा*, और मुझ को चट्टान पर खड़ा करके मेरे पैरों को दृढ़ किया है।
3उसने मुझे एक नया गीत सिखाया जो हमारे परमेश्‍वर की स्तुति का है। बहुत लोग यह देखेंगे और उसकी महिमा करेंगे, और यहोवा पर भरोसा रखेंगे। (प्रका. 5:9, प्रका. 14:3, भज. 52:6)
4क्या ही धन्य है वह पुरुष, जो यहोवा पर भरोसा करता है, और अभिमानियों और मिथ्या की ओर मुड़नेवालों की ओर मुँह न फेरता हो।
5हे मेरे परमेश्‍वर यहोवा, तूने बहुत से काम किए हैं! जो आश्चर्यकर्मों और विचार तू हमारे लिये करता है वह बहुत सी हैं; तेरे तुल्य कोई नहीं! मैं तो चाहता हूँ कि खोलकर उनकी चर्चा करूँ, परन्तु उनकी गिनती नहीं हो सकती।
6मेलबलि और अन्नबलि से तू प्रसन्‍न नहीं होता तूने मेरे कान खोदकर खोले हैं। होमबलि और पापबलि तूने नहीं चाहा*।
7तब मैंने कहा, “देख, मैं आया हूँ; क्योंकि पुस्तक में मेरे विषय ऐसा ही लिखा हुआ है।
8हे मेरे परमेश्‍वर, मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्‍न हूँ; और तेरी व्यवस्था मेरे अन्तःकरण में बसी है।” (इब्रा. 10:5-7)
9मैंने बड़ी सभा में धर्म के शुभ समाचार का प्रचार किया है; देख, मैंने अपना मुँह बन्द नहीं किया हे यहोवा, तू इसे जानता है।
10मैंने तेरा धर्म मन ही में नहीं रखा; मैंने तेरी सच्चाई और तेरे किए हुए उद्धार की चर्चा की है; मैंने तेरी करुणा और सत्यता बड़ी सभा से गुप्त नहीं रखी।

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