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पवित्र बाइबिल - भजन संहिता - भजन संहिता 39

भजन संहिता 39:6-9

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6सचमुच मनुष्य छाया सा चलता-फिरता है; सचमुच वे व्यर्थ घबराते हैं; वह धन का संचय तो करता है परन्तु नहीं जानता कि उसे कौन लेगा!
7“अब हे प्रभु, मैं किस बात की बाट जोहूँ? मेरी आशा तो तेरी ओर लगी है।
8मुझे मेरे सब अपराधों के बन्धन से छुड़ा ले। मूर्ख मेरी निन्दा न करने पाए।
9मैं गूँगा बन गया* और मुँह न खोला; क्योंकि यह काम तू ही ने किया है।

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