Text copied!
CopyCompare
पवित्र बाइबिल - भजन संहिता - भजन संहिता 33

भजन संहिता 33:5-18

Help us?
Click on verse(s) to share them!
5वह धर्म और न्याय से प्रीति रखता है; यहोवा की करुणा से पृथ्वी भरपूर है।
6आकाशमण्डल यहोवा के वचन से, और उसके सारे गण उसके मुँह की श्‍वास से बने। (इब्रा. 11:3)
7वह समुद्र का जल ढेर के समान इकट्ठा करता*; वह गहरे सागर को अपने भण्डार में रखता है।
8सारी पृथ्वी के लोग यहोवा से डरें, जगत के सब निवासी उसका भय मानें!
9क्योंकि जब उसने कहा, तब हो गया; जब उसने आज्ञा दी, तब वास्तव में वैसा ही हो गया।
10यहोवा जाति-जाति की युक्ति को व्यर्थ कर देता है; वह देश-देश के लोगों की कल्पनाओं को निष्फल करता है।
11यहोवा की योजना सर्वदा स्थिर रहेगी, उसके मन की कल्पनाएँ पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहेंगी।
12क्या ही धन्य है वह जाति जिसका परमेश्‍वर यहोवा है, और वह समाज जिसे उसने अपना निज भाग होने के लिये चुन लिया हो!
13यहोवा स्वर्ग से दृष्टि करता है, वह सब मनुष्यों को निहारता है;
14अपने निवास के स्थान से वह पृथ्वी के सब रहनेवालों को देखता है,
15वही जो उन सभी के हृदयों को गढ़ता, और उनके सब कामों का विचार करता है।
16कोई ऐसा राजा नहीं, जो सेना की बहुतायत के कारण बच सके; वीर अपनी बड़ी शक्ति के कारण छूट नहीं जाता।
17विजय पाने के लिए घोड़ा व्यर्थ सुरक्षा है, वह अपने बड़े बल के द्वारा किसी को नहीं बचा सकता है।
18देखो, यहोवा की दृष्टि उसके डरवैयों पर और उन पर जो उसकी करुणा की आशा रखते हैं, बनी रहती है,

Read भजन संहिता 33भजन संहिता 33
Compare भजन संहिता 33:5-18भजन संहिता 33:5-18