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पवित्र बाइबिल - भजन संहिता - भजन संहिता 18

भजन संहिता 18:31-41

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31यहोवा को छोड़ क्या कोई परमेश्‍वर है? हमारे परमेश्‍वर को छोड़ क्या और कोई चट्टान है?
32यह वही परमेश्‍वर है, जो सामर्थ्य से मेरा कटिबन्ध बाँधता है, और मेरे मार्ग को सिद्ध करता है।
33वही मेरे पैरों को हिरनी के पैरों के समान बनाता है, और मुझे ऊँचे स्थानों पर खड़ा करता है।
34वह मेरे हाथों को युद्ध करना सिखाता है, इसलिए मेरी बाहों से पीतल का धनुष झुक जाता है।
35तूने मुझ को अपने बचाव की ढाल दी है, तू अपने दाहिने हाथ से मुझे सम्भाले हुए है, और तेरी नम्रता ने मुझे महान बनाया है।
36तूने मेरे पैरों के लिये स्थान चौड़ा कर दिया*, और मेरे पैर नहीं फिसले।
37मैं अपने शत्रुओं का पीछा करके उन्हें पकड़ लूँगा; और जब तब उनका अन्त न करूँ तब तक न लौटूँगा।
38मैं उन्हें ऐसा बेधूँगा कि वे उठ न सकेंगे; वे मेरे पाँवों के नीचे गिर जायेंगे।
39क्योंकि तूने युद्ध के लिये मेरी कमर में शक्ति का पटुका बाँधा है; और मेरे विरोधियों को मेरे सम्मुख नीचा कर दिया।
40तूने मेरे शत्रुओं की पीठ मेरी ओर फेर दी; ताकि मैं उनको काट डालूँ जो मुझसे द्वेष रखते हैं।
41उन्होंने दुहाई तो दी परन्तु उन्हें कोई बचानेवाला न मिला, उन्होंने यहोवा की भी दुहाई दी, परन्तु उसने भी उनको उत्तर न दिया।

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