16तेरी आँखों ने मेरे बेडौल तत्व को देखा; और मेरे सब अंग जो दिन-दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे।
17मेरे लिये तो हे परमेश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है!
18यदि मैं उनको गिनता तो वे रेतकणों से भी अधिक ठहरते। जब मैं जाग उठता हूँ, तब भी तेरे संग रहता हूँ।