58मैंने पूरे मन से तुझे मनाया है; इसलिए अपने वादे के अनुसार मुझ पर दया कर।
59मैंने अपनी चालचलन को सोचा, और तेरी चितौनियों का मार्ग लिया।
60मैंने तेरी आज्ञाओं के मानने में विलम्ब नहीं, फुर्ती की है।
61मैं दुष्टों की रस्सियों से बन्ध गया हूँ, तो भी मैं तेरी व्यवस्था को नहीं भूला।