8क्योंकि सदूकी तो यह कहते हैं, कि न पुनरुत्थान है, न स्वर्गदूत और न आत्मा है; परन्तु फरीसी इन सबको मानते हैं।
9तब बड़ा हल्ला मचा और कुछ शास्त्री जो फरीसियों के दल के थे, उठकर यह कहकर झगड़ने लगे, “हम इस मनुष्य में कुछ बुराई नहीं पाते; और यदि कोई आत्मा या स्वर्गदूत उससे बोला है तो फिर क्या?”
10जब बहुत झगड़ा हुआ, तो सैन्य-दल के सरदार ने इस डर से कि वे पौलुस के टुकड़े-टुकड़े न कर डालें, सैन्य-दल को आज्ञा दी कि उतरकर उसको उनके बीच में से जबरदस्ती निकालो, और गढ़ में ले आओ।
11उसी रात प्रभु ने उसके पास आ खड़े होकर कहा, “हे पौलुस, धैर्य रख; क्योंकि जैसी तूने यरूशलेम में मेरी गवाही दी, वैसी ही तुझे रोम में भी गवाही देनी होगी।”
12जब दिन हुआ, तो यहूदियों ने एका किया, और शपथ खाई कि जब तक हम पौलुस को मार न डालें, यदि हम खाएँ या पीएँ तो हम पर धिक्कार।