9और उन्होंने यासोन और बाकी लोगों को जमानत पर छोड़ दिया।
10भाइयों ने तुरन्त रात ही रात पौलुस और सीलास को बिरीया में भेज दिया, और वे वहाँ पहुँचकर यहूदियों के आराधनालय में गए।
11ये लोग तो थिस्सलुनीके के यहूदियों से भले थे और उन्होंने बड़ी लालसा से वचन ग्रहण किया, और प्रतिदिन पवित्रशास्त्रों में ढूँढ़ते रहे कि ये बातें ऐसी ही हैं कि नहीं।
12इसलिए उनमें से बहुतों ने, और यूनानी कुलीन स्त्रियों में से और पुरुषों में से बहुतों ने विश्वास किया।
13किन्तु जब थिस्सलुनीके के यहूदी जान गए कि पौलुस बिरीया में भी परमेश्वर का वचन सुनाता है, तो वहाँ भी आकर लोगों को भड़काने और हलचल मचाने लगे।
14तब भाइयों ने तुरन्त पौलुस को विदा किया कि समुद्र के किनारे चला जाए; परन्तु सीलास और तीमुथियुस वहीं रह गए।
15पौलुस के पहुँचाने वाले उसे एथेंस तक ले गए, और सीलास और तीमुथियुस के लिये यह निर्देश लेकर विदा हुए कि मेरे पास अति शीघ्र आओ।
16जब पौलुस एथेंस में उनकी प्रतीक्षा कर रहा था, तो नगर को मूरतों से भरा हुआ देखकर उसका जी जल उठा।
17अतः वह आराधनालय में यहूदियों और भक्तों से और चौक में जो लोग मिलते थे, उनसे हर दिन वाद-विवाद किया करता था।